26 लाख 85 हजार किसानों के बैंक खाते होंगे आनलाइन, फर्जीवाड़ा पर अंकुश लगाने की तैयारी

 बिलासपुर। केंद्र सरकार के निर्देश के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने सहकारिता के क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने और अधिक से अधिक किसानों की सहभागिता बढ़ाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। पहली और मजबूत कड़ी किसान हैं। लिहाजा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और बैंक के अंतर्गत काम करने वाली सहकारी समितियों पर कड़ी निगरानी रखने की तैयारी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि इस साल जब किसान समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचेंगे तब पूरी जानकारी आनलाइन हो जाएगी। किसानों को अपने पाई-पाई का हिसाब घर बैठे ही मिल जाएगा। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से लेकर सहकारी समितियाें को आनलाइन किया जा रहा है।

किसानों के बैंक डिटेल के अलावा समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए कितने एकड़ का पंजीयन कराया है। पंजीयन के बाद कितने एकड़ और रकबा का धान किसानों ने समितियों के माध्यम से समर्थन मूल्य पर बेचा है। भुगतान की स्थिति,खेती किसानी के लिए बैंक से लिए गए कर्ज और ऋण का भुगतान किसानों ने समितियों में किया है या नहीं। यह पूरा लेखा जोखा ई-पैक्स सॉफ्टवेयर में इंट्री की जा रही है। मतलब साफ है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और इसकी निगरानी में काम करने वाली समितियां बैंक की तरह आनलाइन हो जाएगा।

राष्ट्रीयकृत बैंकों में अब पेपरलेस कामकाज की शुरुआत हो जाएगी। कस्टमर के बैंक अकाउंट को टाइप करते ही कंप्यूटर या लैपटाप के स्क्रीन पर खातेधारक का पूरा डिटल सामने आ जाता है। कुछ इसी अंदाज में किसानों के बैंक अकाउंट का डिटेल भी सामने दिखाई देने लगेगा।

 प्रदेश की सहकारी समितियां भी अब जल्द ही पेपरलेस वर्किंग कल्चर की दिशा में आगे बढ़ते दिखाई देगी। बैंक डिटेल्स के साथ ही किसानों के खेती योग्य जमीन,टिकरा जमीन के अलावा धान की फसल कितने रकबा में ली है। कृषि कार्य के लिए समिति से कितना ऋण लिया है। बीते वर्ष लिए ऋण का भुगतान हुआ है या नहीं। जैसे महत्वपूर्ण डिटेल एक क्लिक पर आ जाएगा। किसान का नाम, ऋण पुस्तिका डिटले,बीते वर्ष धान बेचने का एकड़ व रकबा। समिति द्वारा भुगतान किए गए कुल राशि। यह सब कुछ एक क्लिक पर नजर आने लगेगा।

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के दयालबंद शाखा में कार्यरत महिला कर्मचारी खुशबू शर्मा ने किसानों के बैंक खाते से फर्जी तरीके से एक करोड़ से ज्यादा की राशि निकाल थी। जांच पड़ताल में इसका खुलासा हुआ है।इसी तरह सकरी समिति में भी बीते चार साल पहले किसानों के एटीएम से लाखों रुपये समिति के ही कर्मचारियों और अधिकारियों ने मिल कर पार कर दिया था। किसानों के नाम से दस्तावेज में एटीएम देना बताया और एटीएम अपने पास ही रख लिया। पिन नंबर भी जनरेट कर लिया। एटीएम के जरिए किसानों के बैंक अकाउंट से राशि निकालने का मामला सामने आया था।