WHO के अनुसार 10 हजार लोगों पर एक मनो चिकित्सक है जरुरी, छत्तीसगढ़ में तो गजब….

बिलासपुर। CG में मानसिक रोगियों को इलाज की सुविधा ना मिलने को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में दो पीआईएल पर एक साथ सुनवाई चल रही है। याचिकाकर्ता ने डिवीजन बेंच को WHO के मापदंडों और दिशा निर्देशाें की जानकारी देते हुए बताया कि 10 हजार लोगों के लिए एक मनोरोग विशेषज्ञ का होना जरुरी है। छत्तीसगढ़ में आठ लाख लोगों पर मात्र एक मनोरोग विशेषज्ञ है। छत्तीसगढ़ के एकमात्र मानसिक चिकित्सालय बिलासपुर के सेंदरी में चिकित्सा सुविधा का बुरा हाल है। डिवीजन बेंच ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर मानसिक चिकित्सालय सेंदरी में स्वास्थ्य सुविधा की स्थिति बेहतर करने को लेकर किए जा रहे कार्य के संबंध में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

छत्तीसगढ़ में मानसिक रोगियों को इलाज न मिल पाने व सेंदरी स्थित मानसिक चिकित्सालय में स्टाफ की कमी को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दाैरान राज्य शासन की ओर से जवाब पेश करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी ने बताया कि मानसिक चिकित्सालय में रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है। विस्तृत जवाब पेश करने के लिए राज्य शासन ने समय मांगा। इस पर डिवीजन बेंच ने दो सप्ताह का समय दिया है।

राज्य में मानसिक रोगियों के इलाज के लिए 2017 में बने अधिनियम के अनुसार प्रावधान और सुविधा नहीं होने पर रायपुर निवासी अधिवक्ता विशाल कोहली ने अधिवक्ता हिमांशु पांडेय के माध्यम से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लेते हुए पीआईएल के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। दोनों जनहित याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में एक साथ सुनवाई चल रही है। याचिकाकर्ता ने स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर WHO के प्रावधानों की जानकारी देते हुए कोर्ट को बताया कि 10 हजार लोगों पर एक मनोचिकित्सक होना चाहिए। जबकि राज्य में 8 लाख लोगों पर एक है। प्रावधान के अनुसार हर जिले में एक मानसिक चिकित्सालय और मनो चिकित्सक होने चाहिए। याचिका में यह भी बताया कि प्रदेश के एकमात्र राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी के लिए 11 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन उनमें से मात्र 3 मनाेरोग विशेषज्ञ की नियुक्ति हो पाई है।

डिवीजन बेंच ने लिया गंभीरता से,राज्य शासन से मांगा जवाब

याचिकाकर्ता द्वारा दी गई जानकारी को डिवीजन बेंच ने गंभीरता से लेते हुए राज्य शासन से पूछा है कि जब तक चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार को लेकर काम क्यों नहीं किया गया। रिक्त पदों की भर्ती कब तक हो पाएगी। मानसिक रोगियों के इलाज के लिए अस्पतालों में क्या सुविधा है और शासन स्तर पर क्या व्यवस्था की जा रही है। राज्य शासन की ओर से डिवीजन बेंच को जानकारी दी गई है कि मानसिक चिकित्सालय सेंदरी में रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। शासन की ओर से यह भी बताया गया कि इसमें अभी और समय लगेगा। कोर्ट ने विस्तृत जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है।

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