हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला- नाबालिग पत्नी से बिना सहमति यौन संबंध बनाना, माना जाएगा दुष्कर्म
मुंबई। मुंबई हाई कोर्ट ने पहले दुष्कर्म और फिर पीड़िता से विवाह रचाने वाले युवक को अपने फैसले से तगड़ा झटका दिया है। मुंबई हाई कोर्ट का यह फैसला पीड़िता और परिजनों के लिए राहत से कम नहीं है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि नाबालिग पत्नी से बिना सहमति के यौन संबंध बनाना बलात्कार की श्रेणी में आएगा। इस तरह की घटना के लिए दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए याचिकाकर्ता को निचली अदालत द्वारा दिए गए 10 साल सजा के फैसले को उचित ठहराया है।
जस्टिस जीए. सनप की नागपुर पीठ ने पारित एक आदेश में 24 वर्षीय युवक की याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता ने अपनी अपील में इस बात का दावा किया है कि दुष्कर्म पीड़िता उसकी पत्नी है, इसलिए उन दोनों के बीच स्थापित यौन संबंध को बलात्कार नहीं कहा जा सकता। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के इस दावे को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की पत्नी की आयु 18 वर्ष से कम है। नाबालिग होने के कारण उसके साथ सहमति से यौन संबंध स्थापित करने के दावों के आधार पर याचिकाकर्ता आरोपी का बचाव नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि 18 साल से कम उम्र की लड़की से यौन संबंध बनाना दुष्कर्म है। चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं।
याचिकाकर्ता व दुष्कर्म के आरोपी युवक ने निचली अदालत द्वारा सुनाए गए 10 साल की सजा को चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के बाद निचली अदालत ने आरोपी युवक को अपनी नाबालिग पत्नी का यौन उत्पीड़न करने के मामले में दाेषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी। पीड़िता ने बताया कि वह आरोपी के साथ रिलेशन में थी। उस दौरान उसके साथ दुष्कर्म किया। जब वह गर्भवती हो गई तब दोनों साथ-साथ रहने लगे और बाद में हम दोनों ने शादी कर ली।