घर के मुखिया की ये 5 आदतें परिवार को कर देती हैं बर्बाद, कभी नहीं होती बरकत

Chanakya Neeti : एक परिवार में उसके मुखिया की भूमिका बहुत अधिक महत्व रखती है। घर का मुखिया महज उम्र ज्यादा होने की वजह से मुखिया नहीं होता बल्कि उसके अनुभव, परिवार को साथ जोड़े रखने और सभी को सही दिशा दिखाने की काबिलियत ही उसे परिवार में मान-सम्मान का भागीदार बनाती है। यदि घर का मुखिया ही अच्छे आचरण वाला ना हो तो पूरे परिवार की बर्बादी होना तय है। महान दार्शनिक और कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में अच्छे मुखिया के गुणों पर भी विस्तृत चर्चा की है। आचार्य के अनुसार कुछ ऐसे लक्षण है जो यदि घर के मुखिया में पाए जाते हैं, तो उस घर का बर्बाद होना तय है। ऐसे परिवार में ना कभी कोई खुश रह पाता है, साथ ही ऐसा घर आर्थिक संकटों से भी घिरा रहता है। तो आइए जानते हैं ऐसे क्या लक्षण हैं जो आचार्य के मुताबिक घर के मुखिया में नहीं होने चाहिए।

जो खुद ना करें नियमों का पालन

घर के बड़े अक्सर ये गलती कर बैठते हैं कि वो ढेर सारे नियम-कानून तो जरूर बना देते हैं, लेकिन वो नियम कानून-सिर्फ घर के छोटों तक ही सीमित रह जाते हैं। वो कभी खुद ऐसे नियमों का पालन नहीं करते। जबकि बच्चे अक्सर बड़ों को देखकर ही सीखते हैं। यदि आप गलत व्यवहार कर रहे हैं तो उसका असर घर के छोटों पर भी पड़ता है। आचार्य चाणक्य का मानना है कि घर के मुखिया को पहले खुद नियमों का पालन करना चाहिए ताकि वो औरों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकें।

फिजूलखर्ची में उड़ाए पैसा

आचार्य चाणक्य के अनुसार घर के मुखिया को पैसों का सही मैनेजमेंट करना जरूर आना चाहिए। उसे घर की जरूरतों के हिसाब से पैसा खर्च करना चाहिए और आने वाले किसी बुरे समय को ध्यान में रखते हुए पैसों की बचत का भी ध्यान रखना चाहिए। जिस घर में मुखिया ही बिना सोचे समझे पैसे उड़ाता हो, ऐसे घर में कभी भी बरकत नहीं होती और पैसों की किल्लत हमेशा बनी रहती है।

जो परिवार वालों में करता हो भेदभाव

आचार्य चाणक्य के अनुसार घर के मुखिया को परिवार के सदस्यों में भेदभाव बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। एक मुखिया के तौर पर आपकी जिम्मेदारी बनती है कि सभी को सुनें और सभी के हित में निष्पक्ष फैसला लें। वहीं किसी वजह से अगर परिवार के दो सदस्यों में मतभेद भी हो जाता है तो मुखिया का फर्ज बनता है कि वो दोनों को सुनें और सही फैसला ले। किसी एक का पक्ष लेना घर के सदस्यों में मनभेद पैदा कर सकता है जो अंत में परिवार की बर्बादी का कारण बनता है।

करता हो अन्न की बर्बादी

अन्न की बर्बादी करना शास्त्रों में महापाप माना गया है। अन्न को देवी अन्नपूर्णा का दिया हुआ आशीर्वाद समझकर गृहण करना चाहिए उसे यूं ही बर्बाद करना, घर की तरक्की को रोक देता है। खासतौर से अगर घर का मुखिया ही अन्न की बर्बादी करता है, तो ऐसे घर में आर्थिक संकट और क्लेश बना ही रहता है। घर के बड़ों को ऐसा करते देख बच्चों में भी यही आदत आती है, जो पूरे परिवार की बर्बादी का कारण बनती है।

परिवार से ना रखे अच्छे संबंध

आचार्य चाणक्य के अनुसार घर के मुखिया को बाकी परिवार वालों खासतौर से अपने भाइयों से अच्छे संबंध रखने चाहिए। जब पूरे परिवार का आपस में भाईचारा होता है, जो सभी एक दूसरे की ताकत बन जाते हैं। ऐसे परिवार में किसी एक पर भी कोई संकट आए तो पूरा परिवार उसका साथ देने को खड़ा होता है। वहीं जब घर का मुखिया परिवारवालों से अच्छे संबंध बनाकर नहीं रखता तो कहीं ना कहीं वो अकेला पड़ जाता है। ऐसी परिवार में रहने वाले बच्चों पर भी गलत असर पड़ता है।