मानहानि की परिभाषा: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 356
मानहानि क्या है? (What is Defamation?)
मानहानि तब होती है जब कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसे शब्द बोलता या प्रकाशित करता है जो किसी अन्य व्यक्ति की प्रतिष्ठा (Reputation) को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह शब्द, संकेत (Signs), या किसी दृश्य प्रस्तुति (Visible Representation) के माध्यम से हो सकता है। इसके लिए यह ज़रूरी है कि उस व्यक्ति को पता हो या यह मानने का कारण हो कि इस आरोप से दूसरे व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान होगा।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक मंच पर किसी अन्य व्यक्ति पर झूठा आरोप लगाए कि उसने अपराध किया है, और यह आरोप उस व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुंचाता है, तो यह मानहानि होगी।
स्पष्टीकरण 1: मृत व्यक्ति की मानहानि (Defamation of a Deceased Person)
धारा 356 स्पष्ट करती है कि यदि कोई आरोप मृत व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला हो, तो यह भी मानहानि हो सकती है। इसके अलावा, यदि यह आरोप मृत व्यक्ति के परिवार या निकट संबंधियों (Relatives) की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से किया गया है, तो यह भी मानहानि मानी जाएगी।
उदाहरण के तौर पर, अगर कोई किताब में झूठा दावा करे कि एक प्रसिद्ध इतिहासकार ने अपने करियर के दौरान तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया था, और यह उनके परिवार को दुख पहुंचाए, तो यह मानहानि मानी जाएगी।
स्पष्टीकरण 2: कंपनी या समूह की मानहानि (Defamation of Companies or Groups)
यह प्रावधान (Provision) बताता है कि मानहानि किसी कंपनी, संगठन (Organization) या व्यक्तियों के समूह (Group of Persons) के खिलाफ भी हो सकती है। अगर कोई झूठा आरोप इनकी छवि को नुकसान पहुंचाता है, तो वह मानहानि के दायरे में आएगा।