TS सिंहदेव को सौंपी जा सकती है प्रदेशाध्यक्ष की कमान! विरोध में लामबंद हुए आदिवासी नेता, दिल्ली की दौड़े

रायपुर। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के लिए पूर्व डिप्टी CM टीएस सिंहदेव का नाम सामने आते ही पार्टी के आदिवासी नेता लामबंद हो कर कांग्रेस की बागडोर आदिवासी नेता को सौंपने की मांग कर रहे हैं। एक आदिवासी नेता तो दिल्ली भी पहुंच गए हैं। इसको लेकर सियासत भी गरमाई हुई है। भाजपा ने इस पर तंज कसा है कि कुछ लोग नहीं चाहते कि टीएस प्रदेश अध्यक्ष बने इसके लिए लाबिंग शुरू हो चुकी है।

सवा साल के अंदर कांग्रेस की लगातार चौथी हार के बाद कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की आवाज उठने लगी है । इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के बाद इस बात की चर्चा गरम है कि पूर्व डिप्टी CM टीएस सिंहदेव को प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौंपी जा सकती है।

इसके बाद से बस्तर से लेकर सरगुजा तक आदिवासी अध्यक्ष बनाने की मांग उठ रही है। पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, विधायक लखेश्वर बघेल, पूर्व विधायक संतराम नेताम और फूलीदेवी नेताम इसको लेकर सक्रिय हो गए हैं। इस मामले में उनका ये भी तर्क है कि आदिवासी CM से टक्कर लेने आदावासी नेतृत्व जरूरी है।

इसको लेकर दिल्ली में भी लाबिंग शुरू हो चुकी है। 2 दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली रवाना हुए, उसके बाद आज पूर्व मंत्री अमरजीत भगत और शिवकुमार डहरिया दिल्ली पहुंच गए हैं। अन्य आदिवासी नेता भी दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे हैं।

इस पर टीएस सिंहदेव ने कहा कि कांग्रेस के भले के लिए राय सबको दे देना चाहिए लेकिन निर्णय हाई कमान को लेना है। हाई कमान परिस्थितियों को देखकर निर्णय लेता है। पूर्व मंत्री अमरजीत भगत इसके पहले ही सेंट्रल और स्टेट में आदिवासी नेतृत्व को मौका देने की बात कह चुके हैं।

इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक राजेश मूणत ने कहा कि कांग्रेस में किसे इस्तीफा देना चाहिए किसे बचाना चाहिए यह उनके आत्ममंथन का विषय है। भाजपा विधायक सुनील सोनी ने कहा कि कांग्रेस बिखरी हुई है यह समझ में नहीं आ रहा है कि ये भूपेश की कांग्रेस है या टीएस की कांग्रेस है या बैज की कांग्रेस। कांग्रेसी खुद नहीं चाहते की कोई ऐसा आए की जो सबको साथ लेकर चले।

अब देखना यह होगा कि आदिवासी मुख्यमंत्री के खिलाफ माहौल बनाने के लिए कांग्रेस अपना नेतृत्व किसे सौंपती है। लेकिन पार्टी परिस्थिति को देखते नए अध्यक्ष डगर कठिन नजर आ रही है।

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