सेना की जमीन पर हो गया करोड़ों का खेला: सेना के अफसर ने हाई कोर्ट के सामने खोली जिम्मेदारों की पोल

बिलासपुर। सेना ने चकरभाठा और आसपास के गांवों की तकरीबन 1112 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। सेना की योजना थी कि यहां बेसकेंट बनाया जाए। किसी कारणवश सैन्य मंत्रालय को अपनी योजना टालनी पड़ी। अब जबकि चकरभाठा एयरपोर्ट से विमान सेवा प्रारंभ हो गई है, लिहाजा राज्य शासन ने एयरपोर्ट विकास के लिए 285 एकड़ जमीन की मांग की थी। जमीन हस्तांतरण के दौरान सेना के अफसरों ने देखा कि उसके स्वामित्व वाली जमीन पर मुरुम की खोदाई की जा रही है। इससे समतल जमीन गहरे गड्ढे में तब्दील हो गई है। तब सेना के अफसरों ने अवैध खनन को रोकने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने जिला प्रशासन को पत्र लिखा था। सेना की चिट्ठी को जिला प्रशासन ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया है।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच के निर्देश पर सेना की ओर से कर्नल अनुपम श्रीमाली ने शपथ पत्र पेश कर इस तरह की जानकारी दी। सेना के जवाब से जिला प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों की पोल खुल गई है। सेना की ओर से पेश जवाब के बाद राज्य सरकार को जब्त किए गए मुरुम के लैब टेस्ट रिपोर्ट पेश करना था। राज्य शासन ने जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए समय मांगी। इस पर डिवीजन बेंच ने दो सप्ताह का समय दिया है।

सेना की ओर से कर्नल श्रीमाली ने शपथ पत्र पेश करते हुए बताया कि 9 अप्रैल 2024 को जिला प्रशासन को पत्र लिखकर सेना के कब्जे वाली जमीन में हो रहे अवैध उत्खनन को रोकने और दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में मांग की गई थी। 16 अप्रैल 2024 को मुख्यालय छत्तीसगढ़ और ओडिशा उप क्षेत्र के कमांडर ने एयरपोर्ट और चकरभाठा में सेना की जमीन का निरीक्षण किया था। इस दौरान सेना की जमीन की सुरक्षा, अतिक्रमण और अवैध खनन पर चर्चा हुई। 30 अप्रैल 2024 को पत्र लिखकर अवैध गतिविधियों को रोकने की मांग की थी। 13 दिसंबर 2024 को कलेक्टोरेट बिलासपुर में हुई बैठक के दौरान कलेक्टर को सभी अवैध गतिविधियां रोकने और जरूरत पड़ने पर एफआईआर दर्ज कराने को कहा गया था। कर्नल श्रीमाली ने अपने हलफनामा में यह भी कहा है कि अपने स्वामित्व वाली जमीन की सुरक्षा को लेकर सेना लगातार सतर्क है और नियमित रूप से निरीक्षण भी करते रहते हैं।

अवैध उत्खनन और मुरुम चोरी के आरोप और संदेह से घिरे एक कालोनाइजर ने हाई कोर्ट में शपथ पत्र पेश कर जानकारी दी है। शपथ पत्र में कहा है कि फॉर्च्यून एलिमेंट कॉलोनी के विकास के लिए सभी कानूनी मंजूरी ली गई है। नगर पंचायत बोदरी और कलेक्टर से अनुमति ली गई है। रेरा में रजिस्ट्रेशन कराया गया है। मुरुम अधिकृत स्रोतों से खरीदी गई है और रॉयल्टी का भुगतान किया गया है।

बिलासा एयरपोर्ट के पीछे तेलसरा में सेना के स्वामित्व वाली जमीन है। रनवे विस्तार के लिए तेलसरा की जमीन को सेना ने राज्य शासन को देने सहमति दी है। तकरीबन 285 एकड़ जमीन का सीमांकन पूरा हो गया है। इसी जमीन पर मुरुम की अवैध खुदाई की जा रही है। आलम ये कि रनवे विस्तार के लिए अब इस जमीन की फिलिंग कराने में राज्य शासन को करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ेंगे। माफियाओं ने मुरुम की खोदाई कर समतल जमीन को गहरे गड्ढे में तब्दील कर दिया है।

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