हाई कोर्ट ने कहा: पेंशन कर्मचारी के सेवा का अर्जित लाभ है, यह किसी दुर्घटना से जुड़ा नहीं होता…


बिलासपुर। दुर्घटना दावा को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण और भावनात्मक फैसला सामने आया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि माता-पिता और बच्चे जीवन भर एक दूसरे से आाश्रित रहते हैं। इसके पीछे आर्थिक कारण ही प्रमुख नहीं है। यह भावनात्मक, सेवा, शारीरिक और मानसिक स्तर पर भी हो सकती है। भारतीय सामाजिक संरचना में माता-पिता और बच्चे जीवन भर एक-दूसरे पर आश्रित रहते हैं। ना इसे झुठलाया जा सकता है और ना ही इसे नकारा जा सकता है। इस महत्वपूर्ण टिप्पणी के साथ ट्रिब्यूनल के फैसले को खारिज कर हुए बतौर क्षतिपूर्ति 14 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश बीमा कंपनी को दिया है।
मोटर वाहन दुर्घटना मामले में मृतक सेवानिवृत बीएसएनएल कर्मी के दो बेटों को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने बतौर क्षतिपूर्ति 14 लाख 5 हजार 469 रुपये मुआवजा देने का आदेश जारी किया है। ट्रिब्यूनल ने 75 हजार की राशि स्वीकृत की थी।
5 सितंबर 2016 को रायपुर निवासी हरकचंद यादव (रिटायर्ड BSNL कर्मचारी) और उनकी पत्नी मनभावती यादव मोटर साइकिल से दुर्ग जा रहे थे। भिलाई पावर हाउस बस स्टैंड के पास एक ट्रक ने बाइक को टक्कर मार दी। ट्रक के टक्कर से मौके पर ही दोनों की मौत हो गई। मृतक के बेटे मनोज कुमार और तरुण कुमार ने ट्रिब्यूनल में मामला दायर कर
26.50 लाख का मुआवजे की मांग की थी। मामले की सुनवाई के बाद ट्रिब्यूनल ने 75 हजार की राशि मंजूर की थी। ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में यह भी लिखा कि दोनों बेटों की उम्र 38 और 40 वर्ष है। विवाहित हैं और पिता पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं थे।