शिक्षकों के रोल मॉडल बनी सोना साहू काे सुप्रीम कोर्ट से झटका, पढ़िए क्या है मामला

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के एक लाख से अधिक शिक्षकों के रोल माडल बनी शिक्षिका सोना साहू ने वरिष्ठता को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर शिक्षक एलबी के पद पर संविलियन के बाद नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता देने की मांग की थी। छत्तीसगढ़ सरकार के जवाब और संविलियन से पहले कैडर को लेकर दी गई जानकारी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता शिक्षिका सोना साहू की स्पेशल लीव पिटिशन को खारिज कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षिका सोना साहू द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (सिविल) को खारिज कर दिया है। दायर एसएलपी में उन्होंने पंचायत विभाग के तहत अपनी प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से वरिष्ठता मांगी थी। राज्य सरकार ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अवगत कराया और बताया कि

सुप्रीम कोर्ट द्वारा उक्त याचिका को खारिज करने से कानूनी स्थिति की पुष्टि होती है कि क्रमोन्नत वेतनमान (प्रोन्नति वेतनमान) देने के प्रयोजन के लिए वरिष्ठता की गणना स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन की तारीख से ही की जानी है। राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अधिक्ता ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की बाध्यकारी प्रकृति के आलोक में, यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता का पंचायत विभाग के तहत उसकी प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से वरिष्ठता का दावा अस्थिर है। तदनुसार, याचिकाकर्ता की वरिष्ठता की गणना नियुक्ति की तारीख से की जानी चाहिए जिस तिथि से स्कूल शिक्षा विभाग में उनका औपचारिक संविलियन किया गया है।

राज्य सरकार ने पंचायत द्वारा संचालित विद्यालयों में नियुक्त शिक्षाकर्मियों के लिए एक अलग कैडर का गठन किया था, जो स्कूल शिक्षा विभाग के नियमित सरकारी शिक्षकों से अलग संचालित होता था। उनकी नियुक्तियाँ, सेवा शर्तें और वेतन संरचनाएँ स्थानीय निकायों द्वारा विकेंद्रीकृत प्रशासन के तहत प्रबंधित की जाती थीं। 02.नवंबर.2011 के आदेश द्वारा, राज्य ने बिना पदोन्नति के 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले शिक्षाकर्मियों को क्रमोन्नत वेतनमान (उन्नत वेतनमान) का लाभ दिया। बाद में, समानता की बढ़ती माँगों के अनुरूप, राज्य ने 17 मई.2013 के आदेश के अनुसार शिक्षाकर्मियों को नियमित शिक्षकों के बराबर संशोधित वेतनमान प्रदान किया। परिणामस्वरूप, पहले का लाभ समाप्त हो गया।

क्रमोन्नत वेतनमान की नियुक्ति 1.मई 2013 से वापस ले ली गई थी। इसके अलावा, 01.मई .2012 को 7 वर्ष के बाद समयमान वेतन का लाभ दिया गया। अंततः, 30.06.2018 के आदेश के अनुसार, 8 वर्ष की सेवा वाले शिक्षाकर्मियों को नियमित सरकारी सेवा में शामिल कर लिया गया। इस परिवर्तन को 2019 के नियमों के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया, जिसके तहत स्कूल शिक्षा विभाग के तहत सरकारी सेवाओं, वरिष्ठता, वेतन, पेंशन और पदोन्नति का पूरा लाभ दिया गया।