IAS समीर विश्नोई, रानू साहू, सौम्या चौरसिया समेत ये कल जेल से रिहा होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने सारे केसेज को कंपाइल कर दी जमानत

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रायपुर। आईएएस रानू साहू, समीर विश्नोई, राप्रसे अधिकारी सौम्या चौरसिया समेत रजनीकांत तिवारी, वीरेंद्र जायसवाल, संदीप नायक आज शनिवार को किसी भी समय जेल से रिहा होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले सभी छह आरोपियों को सशर्त जमानत देते हुए रिहाई का आदेश दिया था। शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि जमानत के बाद इन सभी को छत्तीसगढ़ से बाहर रहना होगा। ताकि वे साक्ष्यों को प्रभावित न कर सकें।

सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले सभी छह आरोपियों को सशर्त जमानत देते हुए रिहाई का आदेश दिया था। जमानत पर रिहा होने के बाद सभी आरोपियों को छत्तीसगढ़ छोड़ना होगा। इसके अलावा जांच एजेंसियों को जांच में पूरी सहयोग करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने हिदायत दी है कि जमानत पर रिहाई के बाद गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को यह भी छूट दी है कि इस बीच अगर पुख्ता सबूत मिलता है कि आरोपी जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं तो जमानत रद्द करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है।

क्या है डीएमएफ घोटाला

ACB EOW ने स्पेशल कोर्ट में आईएएस रानू साहू, राज्य सेवा संवर्ग की अफसर सौम्या चौरसिया,सूर्यकांत तिवारी सहित 9 लोगों के खिलाफ चार्ज शीट दायर किया है। दो प्रमुख जांच एजेंसियों की जांच में चाैंकाने वाला खुलासा हुआ है। डीएमएफ से कामकाज को लेकर अलग-अलग टेंडर जारी करना और टेंडर देने के नाम पर कमीशनखोरी करने की बात सामने आई है। कमीशनखोरी के इस खेल में अफसरों के अलावा राजनीाति दलों से जुड़े लाेग भी शामिल हैं। ठेके दिलाने के एवज में कमीशन खाने वाले राजनीातिक दल से ताल्लुक रखने वाले सफेदपोश ठेकेदारों का राजनीतिक संरक्षण करते थे साथ ही इस बात की भी गारंटी देते थे कि किसी तरऊंच-नीच होने पर वे संभाल लेंगे।

चौंकाने वाली बात ये कि टेंडर की राशि का 40 फीसदी कमीशन में बांट दी गई है। या यूं कहें कि जितनी राशि का टेंडर ठेकेदार के हवाले किया जा रहा था,पहले उससे बतौर कमीशन 40 प्रतिशत राशि ले ली जाती थी। कैश लेने के बाद टेंडर कमीशन देने वाले ठेकेदार के हवाले कर दिया जाता था। एक और चौंकाने वाली बात ये कि 40 फीसदी राशि कमीशन के रूप में अफसरों की जेब में गई है। कमीशन खाने के लिए अफसरों ने दो क्लाज तय कर दिया था। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20 प्रतिशत कमीशन फिक्स कर दिया था। साफ बात ये कि बगैर कमीशनखोरी किए ना तो टेंडर दिया गया और ना ही काम की अनुमति ही दी गई। कमीशन खाने के बाद सारी औपचारिकताओं को अफसर अपने इशारे पर अपने लोगों से पूरा कराते रहे।

डीएमएफ घोटाले की जांच के बाद ED ने अपनी रिपोर्ट में आईएएस रानू साहू को पद का गलत इस्तेमाल का दोषी पाया है। रानू साहू कोरबा की कलेक्टर थी। उनके कार्यकाल के दौरान ही डीएमएफ में जमकर घोटाला हुआ था।

रानू साहू और माया वारियर का गजब का गठजोड़ था। डीएमएफ घोटाले की जांच कर रहे ईडी के अफसरों ने रानू साहू व माया वारियर सहित अन्य आरोपियों की 23.79 करोड़ रुपए की संपत्ति को कुर्क किया था। इसमें 21.47 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति पाया गया था। यह संपत्ति DMF घोटाले से अर्जित की गई ब्लैक मनी से खरीदी गई थी।

डीएमएफ फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गई है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। टेंडर भरने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर पैसे कमाए गए।

टेंडर हासिल करने के लिए ठेकेदारों ने अफसरों और नेताओं को भारी मात्रा में कमीशन का भुगतान किया है। यह राशि ठेके का 25% से 40% तक था। इसमे कई आपत्तिजनक विवरण,फर्जी स्वामित्व इकाई और भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ है। तलाशी अभियान के दौरान 76.50 लाख कैश बरामद किया गया। 8 बैंक खाते सीज किए। इन खातों में 35 लाख रुपए हैं। इसके अलावा फर्जी डमी फर्मों से संबंधित विभिन्न स्टाम्प, अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए हैं।

छत्तीसगढ़ DMF घोटाला मामले में निलंबित IAS रानू साहू, छत्तीसगढ़ राज्य सेवा अधिकारी माया वॉरियर, NGO के सेक्रेटरी मनोज कुमार द्विवेदी रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद हैं। 4 आरोपियों में राधे श्याम मिर्झा, भुवनेश्वर सिंह राज, वीरेंद्र कुमार राठौर, भरोसा राम ठाकुर को भी गिरफ्तार किया गया है।

कोरबा में डीएमएफ घोटाले की शुरुआत 2021-22 से हुई। यह वह दौर था जब रानू साहू कोरबा कलेक्टर के पद पर काबिज थी। कारोबारी मनोज द्विवेदी ने तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू से संपर्क किया। कलेक्टर की सहमति के बाद मनोज ने अन्य अफसरों को अपने साथ मिला लिया। जब सब-कुछ कारोबारी मनोज द्विवेदी के अनुकूल हो गया तब 2021-22 और 2022-23 में मनोज ने अपने NGO उदगम सेवा समिति के नाम पर कई DMF ठेके ले लिया। मनोज ने ठेके हथियाने के लिए दरियादिली भी दिखाई। कमीशनखोर अफसरों का बकायदा कमीशन बांध दिया। अधिकारियों को 42 प्रतिशत तक कमीशन दिया गया। यही नहीं प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है।

छत्तीसगढ़ के कोल लेवी घोटाला के अलावा शराब और डीएमएफ घोटाले की जांच एसीबी, ईओडब्लू और ईडी कर रही है। कोल घोटाले की जांच सबसे पहले एसीबी ने प्रारंभ की थी। जांच के दौरान यह बात भी सामने आई कि कमीशन के रूप में मिली भारी भरकम राशि का निवेश अलग-अलग क्षेत्रों में किया गया है। ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की है। इसी बीच डीएमएफ घोटाला भी फूटा। डीएमएफ घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू के अलावा एसीबी भी कर रही है।

दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट से इन सभी को जमानत मिलने के बाद ये खबर आई थी कि अन्य मामलों की वजह से ये अभी जेल में रहेंगे। मगर आज अचानक खबरें चलनी शुरू हुई कि वे जमानत पर रिहा हो जाएंगे। दरअसल, ये किसी को पता नहीं था कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों को क्लब कर एक साथ सुनवाई की और फिर सभी मामलों में जमानत दे दी।

दो साल से जेल में बंद रानू साहू, सौम्या चौरसिया सहित छह आरोपियों की रिहाई को लेकर आज पूरे दिन पब्लिक डोमेन में चर्चा होती रही। राजधानी रायपुर में राजनीति और प्रशासनिक सरगर्मी भी तेज रही। तीनों प्रमुख जांच एजेंसियों के कानूनी सलाहकार सहित अधिवक्ताओं की सक्रियता भी बनी रही। दोपहर में ये भी बात आई कि आज शाम तक ये सभी जेल से बाहर आ जाएंगे। मगर बताते हैं, बेल का पेपर तैयार न हो पाने की वजह से वे आज जेल से छूट नहीं पाए।

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