बीएड डिग्रीधारी बर्खास्त शिक्षकों की काउंसिलिंग 17 जून से, सहायक शिक्षक विज्ञान प्रयोगशाला में मिलेगी नौकरी


बिलासपुर। चिप्स को लिखे डीपीआई के पत्र के बाद नौकरी से बाहर किए गए इन शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर उलटी गिनती शुरू हो गई है। पत्र पर नजर डालें तो 17 जून से बीएड डिग्रीधारी बर्खास्त शिक्षकों को सहायक शिक्षक विज्ञान प्रयोगशाला के पद पर ज्वाइनिंग कराने के लिए काउंसिलिंग की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। कैबिनेट के निर्णय के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।


चिप्स को लिखे पत्र में डीपीआई ने कहा है कि सहायक शिक्षक विज्ञान प्रयोगशाला के पद पर पदांकन के लिए काउंसिलिंग की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। राज्य शासन का यह आदेश है। शासन के आदेश के मुताबिक 2621 शिक्षकों को नियुक्ति दी जानी है। काउंसिलिंग की प्रक्रिया के लिए चिप्स को साफ्टवेयर बनाने कहा गया है। इसी साफ्टवेयर के जरिए सहायक शिक्षकों को काउंसिलिंग के बजाय स्कूलों के लिए पदस्थापना आदेश जारी किया जाएगा।
पहले हाई कोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला-
डीएलएड डिप्लोमाधारी युवकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बीएड डिग्रीधारकों का सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त किए जाने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता डिप्लाेमाधारकों ने कहा कि प्राथमिक शालाओं में शिक्षक पद के लिए डीएलएड डिप्लोमाधारकों को मान्य किया गया है। मीडिल,हाई व हायर सेकेंडरी स्कूल में अध्ययन अध्यापन कराने के लिए बीएड डिग्रीधारकों को योग्य माना गया है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की याचिका को स्वीकार करते हुए ऐसे बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों को नौकरी से बाहर करेन और उनकी जगह डीएलएड डिप्लोमाधारकों को सेवा में लेने का निर्देश हाई कोर्ट ने राज्य शासन को दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए बीएड डिग्रीधारकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी थी।
हाई कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद 2 अप्रैल 2024 को प्राइमरी स्कूलों में सहायक शिक्षकों की भर्ती में बीएड डिग्रीधारक उम्मीदवारों की नियुक्तियां निरस्त कर दिया था। याचिका पर फैसला सुनाने के साथ ही कोर्ट ने छह सप्ताह के भीतर पुनरीक्षित चयन सूची जारी करने का निर्देश राज्य शासन को दिया था। बिलासपुर हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए बीएड डिग्रीधारकों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी को खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के छह सप्ताह बाद भी राज्य शासन ने डीएलएड डिप्लोमाधारकों को नौकरी नहीं दी तब डिप्लोमाधारी उम्मीदवारों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दायर