किसान आंदोलन के समर्थन में 8 दिसंबर से ट्रांसपोर्टर देशव्यापी हड़ताल पर जाएंगे

नई दिल्ली (एजेंसी)। तीन कृषि बिलों को लेकर जारी किसान आंदोलन के समर्थन में उतरे ट्रांसपोर्टरों ने आगामी 8 दिसंबर से देशव्यापी हड़ताल पर जाने का आह्वान किया है। ट्रांसपोर्ट यूनियनों ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए बुधवार को उत्तर भारतीय राज्यों में और बाद में पूरे देश में आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही को रोकने की धमकी दी है।
करीब 1 करोड़ माल वाहक ट्रक ड्राइवरों का प्रतिनिधित्व करने वाली सर्वोच्च ट्रांसपोर्ट बॉडी ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने किसानों के विरोध के समर्थन में 8 दिसंबर से हड़ताल पर जाने का आह्वान किया है।
AIMTC के अध्यक्ष कुलतारन सिंह अटवाल ने कहा कि 8 दिसंबर से हम उत्तर भारत में अपने सभी कार्यों को बंद कर देंगे और अपने सभी वाहनों को उत्तर भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली, हरियाणा, यूपी, पंजाब, हिमाचल और जम्मू में रोक देंगे। हमने तय किया है कि अगर सरकार ने अब भी प्रदर्शनकारी किसानों की मांगें नहीं मानीं तो हम पूरे भारत में ‘चक्का जाम’ के लिए आह्वान करेंगे और हमारे सभी वाहनों को रोक देंगे।
AIMTC ने बयान जारी कर कहा, ‘ट्रांसपोर्टर किसान आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं। वे अपने वैध अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। भारत के सड़क परिवहन क्षेत्र की तरह, कृषि क्षेत्र वास्तव में देश की रीढ़ और जीवन रेखा है. 70 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवार कृषि पर निर्भर हैं। संपूर्ण उत्तर भारत और पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर से आने वाले हजारों ट्रक प्रभावित हुए हैं। हम उनका समर्थन करते हैं, क्योंकि, 65 फीसदी ट्रक कृषि से जुड़ी चीजों को लाने में लगे हुए हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान विशेषकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हजारों किसान दिल्ली से लगती सीमाओं के प्रवेश मार्गों पर बुधवार को लगातार सातवें दिन भी डटे हुए हैं। किसानों को आशंका है कि इन कानूनों के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा।
बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।

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