हार्ट ट्रांसप्लांट के इंतजार में नहीं जाएगी जान

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हृदय प्रतिरोपण की बांट जोह रहे मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। कैंब्रिज स्थित रॉयल पापवर्थ हॉस्पिटल के शोधकर्ता ‘ऑर्गन केयर सिस्टम’ नाम का ऐसा उपकरण बनाने में कामयाब हुए हैं, जो डोनर के शरीर से निकाले गए हृदय को बेहतर स्थिति में रखने में सक्षम होगा। इससे हर साल दोगुनी संख्या में मरीजों की हार्ट ट्रांसप्लांट की सर्जरी को अंजाम देने की उम्मीद जगी है।

मुख्य शोधकर्ता स्टीफन लार्ज के मुताबिक मौजूदा समय में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए ज्यादातर हृदय उन मरीजों से प्राप्त होते हैं, जिन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है। अंगदान के लिए परिवार की मंजूरी मिलने के बाद मरीज के हृदय को कृत्रिम रूप से जीवित अवस्था में रखा जाता है, ताकि वह प्रतिरोपण के लिए उपयुक्त रहे।

हालांकि, ‘ऑर्गन केयर सिस्टम’ उन मरीजों के हृदय को भी दोबारा सक्रिय अवस्था में लाने की सुविधा देता है, जिनकी मौत दिल की धड़कन थमने के कारण होती है। यह काम पहले नामुमकिन माना जाता था, क्योंकि ऐसे मामलों में हृदय कोशिकाएं तीव्र गति से दम तोड़ने लगती हैं।

लार्ज की मानें तो उनकी टीम ने हृदय प्रतिरोपण के इंतजार में दम तोड़ने वाले मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए ‘ऑर्गन केयर सिस्टम’ का निर्माण शुरू किया था। तब उन्हें अंदाजा नहीं था कि यह उपकरण हार्ट ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में बीते तीन दशक में हुआ सबसे क्रांतिकारी आविष्कार बनकर उभरेगा।

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