सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन की सख्त जरूरत को संज्ञान में लेकर केंद्र से किए कड़े सवाल
नई दिल्ली:- कोविड-19 की दूसरी लहर जानलेवा साबित हो रही है। बीते 24 घंटे में तीन लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी बुरा असर पड़ रहा है। देश में ऑक्सीजन की भारी किल्लत हो गई है। दवाओं और ऑक्सीजन की कमी के मामले पर देश की शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस संबंध में नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कोरोना से निपटने के लिए आपके पास क्या व्यवस्था है। गुरुवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है। देश के कई हिस्सों में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं होने से काफी दिक्कतें हो रही हैं। ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह से मरीजों की तकलीफ बढ़ती जा रही है।
शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को करेगी। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रविन्द्र भट की पीठ मामले की सुनवाई करेगी। बेंच ने मामले में कोर्ट की सहायता के लिए हरीश साल्वे को अमाइकस क्यूरी ( न्याय मित्र) नियुक्त किया है। बता दें कि इस वक़्त कम से कम छह हाईकोर्ट कोविड प्रबंधन से जुड़े मामलों पर नजर बना हुए हैं दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, एमपी, कलकत्ता और इलाहाबाद हाईकोर्ट कोविड प्रबंधन से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन अदालतों ने सर्वोत्तम हित में फैसले लिए हैं। लेकिन कुछ आदेश भ्रम पैदा कर रहे हैं। इनके आदेशों की न्यायिक शक्ति की जांच करने की जरूरत है। कोर्ट ने केंद्र से ऑक्सीजन की आपूर्ति, आवश्यक दवाओं की आपूर्ति, टीकाकरण की विधि और तरीका और लॉकडाउन घोषित करने करने के बारे में जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने कहा, “हम चाहते हैं कि लॉकडाउन लागू करने अधिकार राज्यों के पास हो ।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द किया
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए 19 अप्रैल को राज्य के 5 शहरों (लखनऊ कानपुर वाराणसी प्रयागराज और गोरखपुर) में 26 अप्रैल तक लॉकडाउन करने का आदेश दिया था। प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के पांच शहरों में लॉकडाउन लगाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। साथ ही राज्य सरकार से कहा है कि वह हाईकोर्ट को सूचित करेगी कि उसने कोरोना संक्रमण रोकने के लिए क्या उपाय किए हैं।