भिलाई: छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस से पहली मौत, कोरोना से जीतने के बाद म्यूकरमाइकोसिस से हारा युवक
भिलाई: छत्तीसगढ़ के भिलाई सेक्टर-1 निवासी एक युवक की ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस से मौत हो गई। प्रदेश में ब्लैक फंगस से मौत का ये पहला मामला है। कोरोना को मात देने के बाद युवक ब्लैक फंगस की चपेट में आया था। उसे दिखाई देना भी बंद हो गया था। भिलाई स्टील प्लांट (BSP) के सेक्टर-9 अस्पताल में पिछले करीब 6 दिनों से इलाज चल रहा था। इससे पहले उसे रायपुर के एक निजी अस्पताल में बीमारी होने के बाद भर्ती कराया गया था।
पहले राजधानी रायपुर में हुआ इलाज
भिलाई के सेक्टर-1 सी मार्केट में रहने वाले वी श्रीनिवास राव (35 वर्ष) को ब्लैक फंगस की शिकायत होने के बाद रायपुर के एक निजी अस्पताल में दाखिल किया गया। शुरू में आंखों में दर्द था। इसके बाद उनको दिखना बंद हो गया। वहां करीब उनका चार दिनों तक इलाज किया गया। इसके बाद वहां से BSP के सेक्टर-9 अस्पताल में रेफर किया गया। यहां करीब 6 दिनों तक डाक्टरों ने तमाम कोशिश की, बावजूद उनकी तबीयत में सुधार नहीं हो हुआ। आखिर में उनकी 11 मई को मौत हो गई।
कोरोना के बाद ब्लैक फंगस का संक्रमण
कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस ने पैर पसारने शुरू कर दिया है। CMHO डॉक्टर गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया कि ब्लैक फंगस से भिलाई निवासी एक व्यक्ति की मौत हुई है, जो BSP के सेक्टर-9 अस्पताल में भर्ती था। जिले में ओर कितने मामले है, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। हमें जानकारी मिली है कि कुछ ओर लोग भी ब्लैक फंगस से पीड़ित हैं, जिनका इलाज AIIMS रायपुर में किया जा रहा है।
BSP प्रबंधन ने बताया
BSP जनसंपर्क विभाग ने बताया है कि सेक्टर-1 निवासी और BSP में कार्यरत अधिकारी के आश्रित को रामकृष्ण केयर अस्पताल से 6 मई को ट्रांसफर कर सेक्टर-9 अस्पताल में भर्ती किया गया था। उपचार के दौरान जरूरी दवाइयां दी गई। 11 मई को मरीज ने दम तोड़ दिया। मृत्यु का कारण फंगल पैनसैनूसाईटइस और सेरेब्रिटिस के साथ एन्सेफलाइटिस विथ पोस्ट कोविड स्टेटस, डायबिटीज मेलिटस एवं क्रोनिक पनके्रटइट्स रिकार्ड किया गया है।
CM भूपेश बघेल ने भी जारी किए निर्देश
ब्लैक फंगस के संक्रमण की जानकारी CM भूपेश बघेल तक पहुंची है। उन्होंने इसे गंभीर माना है। उन्होंने प्रदेश के सभी जिलों में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस पर ध्यान रखने को भी कहा गया है।
कैसे हो रही है यह बीमारी
यह फफूंद से होने वाली बीमारी है। यह फफूंद वातावरण में कहीं भी पनप सकता है। जैव अपशिष्टों, पत्तियों, सड़ी लकड़ियों और कंपोस्ट खाद में फफूंद पाया जाता है। ज्यादातर सांस के जरिए यह शरीर में पहुंचता है। अगर शरीर में किसी तरह का घाव है तो वहां से भी ये फैल सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस का संक्रमण होने पर उसके रोकथाम के लिए पोसाकोनाजोल, एंफोटेरसिन-बी दवाओं की जरूरत होती है। अगर किसी को नाक में जलन, त्वचा में लालपन, आंखों में सूजन, आंख में दर्द, आंख व नाक के नीचे लाल-काले धब्बे, बुखार, खांसी, सिर दर्द, सांस लेने में तकलीफ या सीने में दर्द की तकलीफ हो तो चिकित्सक से सलाह लें। इसकी वजह से जबड़ों में, आंखाें की पुतलियाें अथवा आंखों के पीछे अथवा नाक में तेज दर्द होता है। नाक, चेहरा और आंखों में सूजन आती है। आंख की पलकों और पुतली का मूवमेंट कम हो जाता है। नाक से बदबूदार पानी निकलता है और कभी-कभी खून भी।