अन्य टीकों से कैसे अलग है नेजल वैक्सीन, कितन है कारगर, पीएम मोदी ने जताया है भरोसा
नई दिल्ली:- देश में कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए तेजी से कोविड वैक्सीन का उत्पादन और टीकाकरण करने पर जोर दिया जा रहा है। देश में अभी दो कोरोना वैक्सीन- कोविशील्ड और कोवैक्सीन से लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है। कोरोना वैक्सीन को लेकर कई तरह के प्रयोग अभी भी जारी हैं। इंजेक्शन की जगह नेजल फॉर्म में कोरोना वैक्सीन विकसित करने पर तेजी से काम चल रहा है। बीते दिन अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नेजल वैक्सीन का जिक्र किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि कोरोना वैक्सीन को लेकर कई तरह के प्रयोग जारी हैं। नेजल वैक्सीन पर भी रिसर्च हो रही है। इसके चलते वैक्सीन को सिरिंज से न देकर नाक में स्प्रे किया जाएगा। अगर टेस्ट में कामयाबी मिली तो वैक्सीनेशन की मुहिम में और तेजी आएगी।
कैसे काम करती है नेजल वैक्सीन?
नेजल स्प्रे वैक्सीन को इंजेक्शन की बजाय नाक से दिया जाता है। यह नाक के अंदरुनी हिस्सों में इम्यून तैयार करती है। इसे ज्यादा कारगर इसलिए भी माना जाता है क्योंकि कोरोना समेत हवा से फैलने वाली अधिकांश बीमारियों के संक्रमण का रूट प्रमुख रूप से नाक ही होता है और उसके अंदरूनी हिस्सों में इम्युनिटी तैयार होने से ऐसे बीमारियों को रोकने में ज्यादा असरदार साबित होती है। नेजल वैक्सीन के फायदे
इंजेक्शन से छूटकारा
नाक के अंदरुनी हिस्सों में इम्यून तैयार होने से सांस से संक्रमण होने का खतरा घटेगा
इंजेक्शन से छुटकारा होने के कारण हेल्थवर्कर्स को ट्रेनिंग की जरूरत नहीं
बच्चों का टीकाकरण करना आसान होगा
उत्पादन आसान होने से दुनियाभर में डिमांड के अनुरूप उत्पादन और सप्लाई संभव
भारत बायोटेक कर रही नेजल वैक्सीन का परीक्षण
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी की नाक से दिए जाने वाले टीके के पहले चरण के परीक्षण की मंजूरी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की विशेषज्ञ समिति ने दे दी है। अभी पहले चरण के तहत यह परीक्षण होगा। इसके परिणाम समिति को मिलने और समीक्षा के बाद ही अगले चरण के परीक्षण की अनुमति दी जा सकेगी। कंपनी के अनुसार, देश के चार राज्यों में इस वैक्सीन पर परीक्षण किया जाएगा। इनमें महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु और तेलंगाना शामिल हैं।
क्या बाजार में मौजूद है कोई नेजल वैक्सीन?
बता दें कि इंफ्लूएंजा और नेजल फ्लू की नेजल वैक्सीन अमेरिका जैसे देशों में बाजार में उपलब्ध हैं। इसी तरह जानवरों में केनेल कफ के लिए कुत्तों को वैक्सीन नाक के रास्ते दिया जाता है। वर्ष 2004 में एंथ्रैक्स बीमारी के समय अफ्रीका में प्रयोग के तौर पर बंदर को नेजल वैक्सीन दिया गया था। 2020 में कोरोना वायरस महामारी के सामने आने के बाद चूहों और बंदरों में किए गए प्रयोग में पाया गया कि नाक के जरिये वैक्सीन देकर वायरस संक्रमण को रोका जा सकता है। इसके असर से नाक के अंदरुनी हिस्सों के निचले और ऊपरी हिस्सों में वायरल क्लियरेंस यानी प्रोटेक्शन पाया गया।