मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार में छत्तीसगढ़ की भी बढ़ी उम्मीदें
प्रदेश भाजपा ने सांसद अरुण साव और विजय बघेल का भेजा नाम, सरोज पाण्डेय की भी चल रही चर्चा
रायपुर:-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार की कवायदों के बीच छत्तीसगढ़ की उम्मीदें भी बढ़ गई है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में यहां से अभी एक मंत्री हैं। प्रदेश भाजपा को लग रहा है कि कम से कम एक और सांसद को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है। यहां तीन नेताओं अरुण साव, विजय बघेल और सरोज पाण्डेय के नाम की चर्चा चल रही है।
बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संगठन की ओर से एक नाम मांगा था। प्रदेश संगठन मंत्री पवन साय ने प्रदेश भाजपा की ओर से बिलासपुर सांसद अरुण साव का नाम प्रस्तावित किया है। बताया जा रहा है, पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस की ओर से दुर्ग सांसद विजय बघेल का भी नाम अपनी ओर से प्रस्तावित किया है। इस बीच राज्य सभा सांसद सरोज पाण्डेय आनन-फानन में दिल्ली पहुंच भी गई हैं। बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व में किसी बड़े नेता ने उन्हें दिल्ली आने को कहा था। हालांकि अभी तक तीनों में से किसी के पास केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अथवा प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आने की पुष्टि नहीं हुई है। सांसद अरुण साव ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा, उनके पास अभी इस संबंध में कोई फोन नहीं आया है। इस बीच राज्य सभा सांसद रामविचार नेताम, राजनांदगांव सांसद संतोष पाण्डेय के नाम की भी कुछ चर्चा चल रही है। लेकिन भाजपा के ही कई नेता इसकी संभावना को भी खारिज कर रहे हैं।
ऐसा है इन नेताओं का समीकरण
छत्तीसगढ़ में भाजपा, कांग्रेस की आदिवासी और पिछड़ा वर्ग की जातीय राजनीति से चुनौती पा रही है। ऐसे में इस वर्ग को केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देने की बात हो रही है। आदिवासी वर्ग से रेणुका सिंह पहले ही मंत्री हैं। ऐसे में पिछड़ा वर्ग के सांसदों की उम्मीद बढ़ जाती है। इस समीकरण में अरुण साव का दावा सबसे मजबूत बताया जा रहा है। साव ओबीसी चेहरा हैं और संघ की भी पसंद हैं। अधिवक्ता रहे हैं और शांति से अपना काम करते हैं। विजय बघेल को आक्रामक चेहरा माना जाता है। वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के परिवार से ही हैं। ऐसे में उनके नाम की भी कुछ हद तक संभावना बनी हुई है। सरोज पाण्डेय को स्थानीय से अधिक केंद्रीय संपर्कों और समीकरणों से उम्मीद हैं। यह कितना असरदार होगा यह वक्त बताएगा।
रेणुका सिंह के मंत्री बने रहने पर भी संदेह
कहा जा रहा है, यह सिर्फ मंत्रि मंडल का विस्तार नहीं पुनर्गठन जैसा मामला है। यानी कुछ पुराने मंत्रियों को हटाया भी जा सकता है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सरगुजा सांसद रेणुका सिंह के मंत्री बने रहने पर भी संदेह है। रेणुका सिंह अभी जनजातीय कार्य मंत्रालय की राज्य मंत्री हैं। उनके कामकाज को लेकर संगठन में नाराजगी बताई जा रही है। लेकिन अगर रेणुका सिंह को हटाया जाता है तो इसी वर्ग से किसी और को स्थान देने का राजनीतिक दबाव भी होगा।
इस वजह से यहां से कम से एक की संभावना
भाजपा नेताओं का कहना है कि अभी प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियां ऐसी हैं कि कम से कम एक मंत्री बनने की संभावना बन रही है। प्रदेश में 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद अभी पार्टी के पास 14 ही विधायक हैं। संगठन का लक्ष्य 2023 के चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी का ही है। केंद्रीय मंत्री इस अभियान में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ स्थानीय लोगों को लामबंद करने में महत्वपूर्ण हो सकता है।
संभव है कि किसी को जगह न मिले
भाजपा से जुड़े कुछ जानकारों का कहना है, संभव है कि इस विस्तार में छत्तीसगढ़ के किसी सांसद को जगह ही न मिले। उनका तर्क है कि इस विस्तार में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि जिसको मंत्री बनाया जाएगा उसका उस राज्य की राजनीति में क्या असर पड़ेगा। संभावित चुनावों में उसका क्या असर होगा। वहीं गठबंधन में शामिल दलों को भी मौका दिया जाना है। लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर छत्तीसगढ़ में भाजपा के पास 11 सांसद हैं। यहां विधानसभा चुनाव ढाई साल बाद होने हैं। ऐसे में नियुक्तियों से बहुत बड़े राजनीतिक माइलेज की उम्मीद कम है।