सोनिया की बुलाई बैठक में 19 पार्टियों के नेताओं ने बनाई भावी रणनीति, सरकार को घेरने की बड़ी तैयारी में विपक्ष

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नई दिल्ली। विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहल पर बुलाई गई बैठक में शामिल हुईं 19 पार्टियों में कमोबेश सभी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को चुनौती देने के लिए विपक्ष के साझा सियासी प्लेटफार्म को अपरिहार्य माना है। सूत्रों ने बताया कि बैठक में उत्तर प्रदेश समेत अगले साल सात राज्यों में होने वाले चुनावों में भी विपक्ष के बीच तालमेल और एकजुटता की संभावनाओं को लेकर बातचीत हुई। जानें बैठक में विपक्ष ने क्‍या बनाई रणनीति…

निजी हितों को दरकिनार करने की अपील

सोनिया ने तो साफ कहा कि विपक्षी पार्टियों के बीच चाहे आपसी मतभेद हों मगर देशहित में हमें इससे ऊपर उठकर एक साथ काम करना होगा। संसद के भीतर ही नहीं, बाहर भी एकजुट होकर काम करने की जरूरत है। सोनिया ने कहा कि 2024 के चुनाव के लिए विपक्षी दलों को व्यवस्थित रूप से तैयारी करनी होगी ताकि देश को संवैधानिक मूल्यों में आस्था रखने वाली सरकार देने का लक्ष्य हासिल किया जा सके। ममता बनर्जी ने भी निजी हितों को दरकिनार कर विपक्ष के एकजुट होने की बात का समर्थन किया।

यह बनी रणनीति

सूत्रों ने बताया कि बैठक में पेगासस जासूसी कांड और महंगाई के मुद्दे पर सरकार की घेरेबंदी जारी रखने के साथ ही राज्यसभा में विपक्षी सांसदों से हुए दु‌र्व्यवहार के खिलाफ एकजुट सियासी लड़ाई लड़ने की प्रतिबद्धता भी जताई गई। साथ ही विपक्षी दिग्गज इस पर सहमत हुए कि जल्द ही राजधानी दिल्ली में आमने-सामने रूबरू होकर एकजुटता की पहल को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे।

सपा ने बनाई दूरी

विपक्ष को गोलबंद करने की सोनिया की पहल पर हुई बैठक में ममता बनर्जी व उद्धव ठाकरे समेत विपक्ष के चार बड़े मुख्यमंत्रियों और शरद पवार से लेकर सीताराम येचुरी जैसे विपक्षी दिग्गज शामिल हुए। हालांकि समाजवादी पार्टी बैठक में शामिल नहीं हुई। अखिलेश यादव ने राज्य के दूरस्थ इलाके में होने की वजह से वर्चुअल बैठक में शामिल हो पाने में असमर्थता का पत्र भेज दिया जबकि बसपा और आम आदमी पार्टी को बैठक का न्योता ही नहीं मिला था।

विपक्षी एकजुटता को ठोस आकार देने का संकल्‍प

अखिलेश को छोड़कर सोनिया की वर्चुअल बैठक में विपक्ष की लगभग सभी पार्टियों के बड़े नेता न केवल शामिल हुए बल्कि विपक्षी एकजुटता की पहल को आगे बढ़ाने पर हामी भरी और इसके सियासी स्वरूप को ठोस आकार देने की दिशा में आगे बढ़ने की बात कही। सोनिया ने संसद के मानसून सत्र में विपक्षी दलों की एकजुट रणनीति की कामयाबी की चर्चा करते हुए कहा कि पेगासस जासूसी कांड पर चर्चा से सरकार भागती रही और विपक्षी एकता के कारण ही ओबीसी संविधान संशोधन विधेयक पारित करने को बाध्य हुई।

साझा रणनीति बनाने पर जोर

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष को 2024 के चुनावों के लिए व्यवस्थित योजना बनाकर अपने निजी हितों और आपसी मतभेदों को भुलाकर काम करना होगा, इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। उनका कहना था कि सबके लिए जरूरी है कि विपक्षी एकता को मजबूत करते हुए अहम मुद्दों पर साझा रणनीति तैयार की जाए। बताया जाता है कि विपक्षी दिग्गजों ने संयुक्त रणनीति से जुड़े पहलुओं और मुद्दों पर भी चर्चा की।

ये दिग्‍गज हुए शामिल

ममता और उद्धव के साथ ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा पवार, येचुरी, तेजस्वी यादव आदि वर्चुअल बैठक में शामिल हुए। कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, द्रमुक, शिवसेना, झामुमो, भाकपा, माकपा, नेशनल कांफ्रेंस, राजद, एआइयूडीएफ, वीसीके, लोकतांत्रिक जनता दल, जदएस, रालोद, आरएसपी, केरल कांग्रेस मनी, पीडीपी और आइयूएमएल के नेता बैठक में शामिल हुए।

मिलकर धरना प्रदर्शन करेंगे विपक्षी दल

वहीं समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक बैठक के बाद सभी 19 विपक्षी दलों के नेताओं ने एक बयान जारी कर कहा कि वे 20 से 30 सितंबर तक देशभर में संयुक्त रूप से धरना प्रदर्शनों का आयोजन करेंगे। उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि बेहतर कल के लिए वे भारत को बचाएं। उन्होंने सरकार के समक्ष 11 सूत्रीय मांग पत्र भी रखा है।

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