लखीमपुर खीरी हिंसा जांच पर सुप्रीम कोर्ट: ‘राज्य सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं’, ‘302 के केस में सीधा गिरफ्तार ही करते हैं न?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में राज्य द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं है और कोर्ट एक जिम्मेदार सरकार, व्यवस्था और पुलिस की अपेक्षा करता है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि मामले को सीबीआई को सौंपना समाधान नहीं है। मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, “हम राज्य द्वारा की गई कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं।”

केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी नहीं होने पर पीठ ने साल्वे से सवाल किया, “क्या आप अन्य मामलों में भी आरोपियों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं? नोटिस भेज रहे हैं।” पीठ ने साल्वे से कहा, “जब हत्या और गोली लगने से घायल होने के गंभीर आरोप होते हैं, तो देश के अन्य हिस्सों में आरोपियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। कृपया हमें बताएं।” पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे से आगे पूछा कि क्या राज्य सरकार ने मामले को सीबीआई को देने का अनुरोध किया है?

साल्वे ने जवाब दिया कि यह पूरी तरह से उनके हाथ में है। हालांकि, पीठ ने साल्वे से कहा, “सीबीआई भी कोई समाधान नहीं है और आप इसका कारण जानते हैं .. आप बेहतर तरीका ढूंढ सकते हैं।” साल्वे ने कहा कि मामला बेहद गंभीर है। पीठ ने जवाब दिया, “अगर यह एक बेहद गंभीर मामला है तो चीजें कैसे हो रही हैं। यह केवल शब्दों में है और कार्रवाई में नहीं है।” साल्वे ने शीर्ष अदालत के समक्ष स्वीकार किया कि राज्य द्वारा जो किया गया है वह संतोषजनक नहीं है और जल्द ही सुधारात्मक कार्रवाई की जाएगी, और पीठ से दशहरा की छुट्टी के तुरंत बाद मामले को सुनवाई के लिए रखने का आग्रह किया। शीर्ष अदालत ने मामले में गठित एसआईटी पर भी कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें स्थानीय अधिकारी शामिल हैं।

पीठ ने कहा कि अब एसआईटी को रखने की आवश्यकता नहीं हो सकती है, और इस बात पर जोर दिया कि उन्हें सबूत नष्ट नहीं करना चाहिए या कुछ भी नकारात्मक नहीं करना चाहिए। साल्वे ने दलील दी कि सबूतों को देखते हुए धारा 302 के तहत लगाए गए आरोप संभवत: सही हो सकते हैं। शीर्ष अदालत ने साल्वे से कहा कि वह दशहरे की छुट्टी के बाद मामले को उठाएगी, ‘लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य का हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। पीठ ने जोर देकर कहा कि राज्य को तत्काल कदम उठाने चाहिए। पीठ ने कहा, “मुद्दे की संवेदनशीलता के कारण, राज्य को समझना चाहिए, हम और कुछ नहीं कह रहे हैं।” शीर्ष अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 20 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध किया है। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार को एक स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था जिसमें यह बताने के लिए कहा गया था कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में दर्ज प्राथमिकी में आरोपी कौन हैं और उन्हें गिरफ्तार किया गया है या नहीं।