बारदाना देने और उसना चावल लेने का आग्रह, बात नहीं बनी तो मंत्रिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलने जाएंगे: मुख्यमंत्री भूपेश


रायपुर। धान खरीदी के मुद्दे पर राज्य सरकार एक बार फिर संकट में है। इसके समाधान के लिए हर स्तर पर कोशिश शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर समस्याओं के समाधान का आग्रह किया है। अब कहा जा रहा है कि बात नहीं बनी तो मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री से मिलने जाएंगे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, केंद्र सरकार ने ही जूट कमिश्नर का पद क्रिएट किया है। उसी के माध्यम से सभी राज्यों के जूट बारदानों की आपूर्ति होती है। हमने उससे डिमांड की है। हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, हमें अधिक बारदानों की आवश्यकता होगी। हमने उसना चावल लेने का भी आग्रह किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री की ओर से अनुमति मिल जाती है तो अच्छी बात है। नहीं तो उनसे मिलने का समय मांगेंगे। पूरे मंत्रिमंडल के लोग जाएंगे ताकि छत्तीसगढ़ की समस्याओं के बारे में उन्हें अवगत कराया जा सके। साल 2019 की धान खरीदी के समय भी छत्तीसगढ़ सरकार ऐसे ही संकट में थी। केंद्र सरकार ने बोनस देने की स्थिति में चावल लेने से इनकार कर दिया था। उस समय मुख्यमंत्री ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। किसान संगठनों की बैठक में समर्थन जुटाया था। चौतरफा समर्थन जुटाने के बाद सरकार ने केंद्र से बातचीत जारी रखी। कई दौर की चर्चाओं के बाद केंद्र सरकार ने सशर्त अनुमति दी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। कभी कहा जाता है समर्थन मूल्य से एक रुपया भी अधिक दिया तो चावल नहीं लेंगे। दूसरे साल हमने इनपुट सब्सिडी देना शुरू किया तो कहने लगे सभी फसलों पर दीजिए। सभी फसलों पर देने लगे तो अब कह रहे हैं कि उसना चावल नहीं लेंगे। जब से चावल जमा हो रहा है तब से उसना और अरवा को एक अनुपात में लिया जाता रहा है। इसका मतलब है कि हमें जानबूझकर परेशान किया जा रहा है।
दरअसल छत्तीसगढ़ में एक दिसंबर से धान की सरकारी खरीदी शुरू हो रही है। इस बार सरकार ने 105 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने की तैयारी की है। इसके लिए 5 लाख 25 हजार गठान जूट बारदानों की जरूरत है। जूट कमिश्नर ने 2 लाख 14 हजार गठान बारदानों की सहमति दी है, लेकिन अभी तक 38 हजार गठान ही छत्तीसगढ़ पहुंच पाई है। उधर केंद्र सरकार ने 61 लाख 65 हजार मीट्रिक टन चावल केन्द्रीय पूल में लेना मंजूर किया है। इसका असर यह होगा कि करीब 500 उसना राइस मिलें बंद हो जाएंगी। वहीं प्रदेश की राइस मिलें पूरी क्षमता से भी समय से 61 लाख मीट्रिक टन चावल की मीलिंग नहीं कर पाएंगी। ऐसे में राज्य सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा।