संभावित लॉकडाउन की आहट से खाद्य सामग्रियों की कालाबाजारी शुरु, सप्लाई कम होने के नाम पर आम लोगों को लूटने की तैयारी

दुर्ग (चिन्तक)। प्रदेश में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रशासन द्वारा कुछ जिलों में नाइट कफ्र्यू सहित अन्य पाबंदिया लागू कर दी गई है। बढ़ते मामलों को देखते हुए तीसरी लहर व लॉकडाउन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। लॉकडाउन की संभावना को देखते हुए कुछ व्यापारियों द्वारा खाद्य सामग्रियों की कालाबाजारी शुरु कर दी गई है और अधिक मूल्य पर सामानों को बेचा जा रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दुर्ग जिले में लागू लॉकडाउन के बाद लगभग सभी चीजों के दामों में तेजी आई हैं। चावल-दाल जैसी राशन की चीजों में 40 से 80 रुपये प्रति किलो तक का फर्क आया है।

ज्ञात हो कि कोरोना के दूसरी लहर को देखते हुए दुर्ग जिले में विगत 6 अपै्रल को पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया था। पेट्रोल पंप, दूध व दवा दुकानों के अलावा सभी दुकानें बंद थी। कोरोना संक्रमण के मामले कम होते ही प्रशासन द्वारा कुछ दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई। इसमें किराना दुकानें भी शामिल थे। किराना व्यापारियों ने लॉकडाउन का खुलकर फायदा उठाते हुए ग्राहकों से अधिक मूल्य पर खाद्य सामानों को बेचा। सप्लाई कम होने का नाम लेकर ग्रहकों को खूब लूटा गया। पहले खाद्य सामग्री के प्रिंट रेट (एमआरपी) से कम रुपये ग्राहकों से लिया जाता था, लेकिन लॉकडाउन का बहाना बनाकर व्यापारी पूरा-पूरा पैसा ले रहे हैं।

खाने-पीने की वस्तुओं और राशन के दाम बढ़ गए हैं। पहले लिखी हुई कीमत से कम पैसा देना पड़ता था, लेकिन कई दुकानदार अब पैकेट पर लिखी हुई एमआरपी कीमत को पूरा ले रहे हैं। लोगों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण मजबूरीबश अधिक मूल्य पर खाद्य सामगियों को खरीदा गया। विरोध करने पर दुकानदार द्वारा सामानों को वापस ले लिया जाता था। एमआरपी से कम मूल्य लिया जाता था, लेकिन कालाबाजारी का ऐसा खेल खेला गया जिसे व्यापारियों ने अपनी आदत बना ली है।

20 रुपये में बेचा गया एक नींबू
खाद्य तेल 90 रुपये पर मिल रहा था, जबकि एमआरपी 150 का था, लेकिन अब एमआरपी का पूरा मूल्य देना पड़ रहा है। 5 रुपये का गुड़ाखू 40 रुपये में और 10 रुपये वाला 80 रुपये में बेचा गया। 5 रुपये का तंबाकू 25 रुपये तक बेचा गया। पांच किलो के आटे का पैकेट 120 से 130 रुपये में मिलता था। जबकि इसका एमआरपी लगभग 180 रुपये का था। परंतु लॉकडाउन के समय एमआरपी मूल्य पर ही बेचा जाने लगा। सब्जी व्यापारी भी इसमें पीछे नहीं रहे। सब्जी व्यपारियों को ठेले में सब्जी बेचने के अनुमति मिलने के बाद उन्होंने ने भी ग्राहकों को खूब लूटा। हद तो तब हो गई जब विटामिन-सी के लिए निंबु की अधिक मांग को देखते हुए एक नींबू लगभग 20 रुपये में बेचा गया।

सिगरेट, गुटका व गुड़ाखू हुए महंगे
कोरोना की तीसरी लहर के संभावित लॉकडाउन को देखते हुए सिगरेट, गुटका एवं गुड़ाखू के कालाबाजारी करने वाले सुनियोजित तरीके से मूल्य बढऩा शुरू कर दिया है। विगत कुछ दिनों में माल नहीं आने के नाम पर सिगरेट, गुटका एवं गुड़ाखू के थोक मूल्य में 05 से 10 रूपये की वृद्धि होने से चिल्लर के दामों में भी बढ़ोत्तरी हुई है। गौरतलब है कि पिछले लॉकडाउन के दौरान सिगरेट, गुटका एवं गुड़ाखू कई गुना अधिक मूल्य पर बेचा गया था। संभावित लॉकडाउन से पहले ही सिगरेट, गुटका एवं गुड़ाखू की कालाबाजारी की पूरी तैयारी कर ली गई है। सप्लाई कम होने के नाम पर इसके मूल्य वृद्धि का दौर शुरू हो गया है।

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