हाईकोर्ट: तलाक के बाद भी उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कर सकती है पत्नी, लेकिन घटनाएं तलाक से पहले की होनी चाहिएं
गाँधीनगर। गुजरात हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई में कहा कि तलाक के बाद भी महिला अत्याचार या प्रताड़ना की शिकायत दर्ज कर सकती है, लेकिन संबंधित घटनाएं तलाक से पहले की होनी चाहिएं। कोर्ट ने कहा कि IPC की धारा 498A के तहत शिकायत दर्ज की जा सकती है।
अगर किसी महिला पर उसका पति या ससुराल वाले अत्याचार या मार-पिटाई करते हैं तो IPC की धारा 498A के तहत इसे अपराध माना जाता है। कोर्ट ने इस मामले में IPC की धारा 498A के तहत लगाए गए आरोपों को लेकर कहा कि यह घटनाएं तलाक से पहले की होनी चाहिए। कोर्ट ने 498A के बारे में बताया कि इसके तहत पति और पति के रिश्तेदार जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन मौजूदा मामले में पूर्व पति और पूर्व पति के रिश्तेदारों जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि इस सेक्शन का इस्तेमाल करते समय पत्नि के बजाय महिला शब्द का उपयोग किया जाए।
गुजरात हाई कोर्ट ने बताया क्या कहता है कानून
हाइकोर्ट ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि IPC की धारा 498A के तहत शिकायत दर्ज करते समय महिला आरोपी पति की पत्नी हों। कोर्ट ने कहा कि तलाकशुदा पत्नी भी 498A के तहत क्रूरता और अत्याचार की शिकायत दर्ज कर सकती है, लेकिन यह जरूरी है कि यह घटनाएं शादी के दौरान की हों, न कि तलाक के बाद की।
गुजरात कोर्ट ने खारिज की पत्नी की याचिका
जस्टिस जितेंद्र दोशी ने कहा, ‘एक बार जब कोर्ट ने तलाक का आदेश पारित कर दिया, तो पति और पत्नी की वैवाहिक स्थिति समाप्त हो जाती है।’ कोर्ट ने तलाक के 20 महीने बाद एक महिला की तरफ से 498A के तहत दाखिल याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। शिकायत में महिला ने पहले पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।
कोर्ट ने कहा, पति की दूसरी शादी का बदला लेने के लिए की शिकायत
महिला ने इस बात का भी आरोप लगाया कि तलाक के बाद पति ने दूसरी शादी कर ली और इसकी वजह से वह व्याभिचार का दोषी है। हालांकि, कोर्ट ने पाया कि महिला ने तलाक से पहले उत्पीड़न या क्रूरता को लेकर पति पर कोई आरोप नहीं लगाया। कोर्ट ने कहा कि महिला ने तलाक के बाद पति की दूसरी शादी के प्रतिशोध में यह शिकायत की है। शिकायत में इस बात की भी जानकारी नहीं दी गई कि महिला को किस तरह से शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया गया। इसके साथ ही कोर्ट ने महिला की याचिक खारिज कर दी।