चांद पर आते हैं भूकंप, जानें महारहस्य
न्यूज रूम: चांद की सतह पर सो रहे भारत के विक्रम लैंडर को पिछले दिनों भूकंप के झटके का सामना करना पड़ा था। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बताया था कि विक्रम लैंडर ने चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर ‘प्राकृतिक घटना’ को दर्ज किया है। इससे संकेत मिला कि चांद पर भूकंप आया था। विक्रम लैंडर पर भूकंप का पता लगाने के लिए ILSA उपकरण लगाया गया है। इस उपकरण ने प्रज्ञान रोवर और अन्य उपकरणों की हलचल का भी पता लगाया था। वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती पर जहां कुछ मिनट तक भूकंप आते हैं, वहीं चांद पर भूकंप के झटके आधे घंटे तक आते रहते हैं। हालांकि चांद पर आने वाला भूकंप का झटका हल्का होता है। चांद पर भूकंप अक्सर आता रहता है। अमेरिका के अपोलो मिशन के दौरान भूकंप का पता लगाने के लिए चांद पर भूकंप मापने का उपकरण स्थापित किया गया था।
वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती के गुरुत्वीय प्रभाव के अलावा उल्कापिंड के गिरने की वजह से भी चांद पर भूकंप आते हैं। हालांकि सीमित डेटा की वजह से वैज्ञानिक पूरी तरह से सुनिश्चित नहीं हैं कि चांद पर यह भूकंप आखिर क्यों आता है और उसका व्यवहार क्या होता है।
वैज्ञानिक चाहते हैं कि चांद के आसपास भूकंप को मापने वाले वैश्विक नेटवर्क के उपकरण स्थापित किए जाएं। इससे चांद पर आने वाले भूकंप का पूरा तंत्र और उसका कारण समझ में आ जाएगा। इस नेटवर्क की मदद से ठीक-ठीक यह पता चल सकेगा कि ये घटनाएं आखिर कब होती हैं और उनका केंद्र कहां होता है। साथ ही किसी एक जगह आए भूकंप का चांद के अन्य इलाकों में क्या असर होता है। चांद पर भूकंप की माप के लिए 50 साल से भी पुराने डेटा का अभी इस्तेमाल किया जा रहा है। चांद पर भूकंप क्यों आता है, इस महारहस्य का अभी तक वैज्ञानिक ठीक-ठीक पता नहीं लगा पाए हैं।