‘नारी शक्ति वंदन बिल’ : 27 वर्षों के इंतजार के बाद, लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश


नई दिल्ली | देश में गुजरे 27 वर्षों के इंतजार के बाद, लोक सभा में महिलाओं के लिए सीटों की आरक्षण की मांग को पूरा करते हुए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। नरेंद्र मोदी भाजपा सरकार ने ‘नारी शक्ति वंदन बिल’ को पारित किया है। यह बिल लोकसभा में 19 सितंबर 2023 को पेश किया गया था और कल इस पर चर्चा होगी। इस मुद्दे पर आखिरी बार कदम 2010 में उठाया गया था, जब राज्यसभा ने हंगामे के बीच बिल पास कर दिया था और मार्शलों ने कुछ सांसदों को बाहर कर दिया था जिन्होंने महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का विरोध किया था | हालांकि यह विधेयक रद्द हो गया क्योंकि लोकसभा से पारित नहीं हो सका था| नरेंद्र मोदी भाजपा सरकार ने ‘नारी शक्ति वंदन बिल’ को पेश किया है। इसे केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 128वें संविधान संशोधन बिल के रूप में पेश किया। यह बिल लोकसभा में आज 19 सितंबर 2023 को पेश किया गया और कल इस पर चर्चा होगी।
आरक्षित सीटों की विवरण:
– 84 अनुसूचित जाति की सीटों में से 33% सीटें ‘नारी शक्ति वंदन बिल’ के तहत महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
– 47 अनुसूचित जनजाति की सीटों में से भी 33% सीटें ‘नारी शक्ति वंदन बिल’ के तहत महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
महिला आरक्षण बिल के महत्वपूर्ण पॉइंट्स:
1. महिला आरक्षण बिल क्या है? : इस बिल का उद्देश्य है कि लोकसभा और राज्य विधान सभाओं में सभी सीटों का 33% महिलाओं के लिए ‘नारी शक्ति वंदन बिल’ के तहत आरक्षित किया जाए।
2. इस बिल के अनुसार, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों का एक तिहाई हिस्सा ‘नारी शक्ति वंदन बिल’ के तहत महिलाओं के लिए आरक्षित होगा, और इन आरक्षित सीटों को प्रतिवर्ष बदला जा सकता है।
3. बिल के अनुसार, महिलाओं के लिए सीटों की आरक्षण 15 साल के बाद ‘नारी शक्ति वंदन बिल’ के प्रारंभ होने के बाद समाप्त होगी।
4. महिला आरक्षण के पक्षधर क्या कहते हैं? : इस बिल के समर्थक कहते हैं कि महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए सकारात्मक कदम की आवश्यकता है और ‘नारी शक्ति वंदन बिल’ के तहत ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण पर रिजर्वेशन के बारे में हाल की अध्ययनों का उल्लेख करते हैं।
5. वे यह भी कहते हैं कि हर चुनाव के बाद सीटों की चक्करव्यूहीकरण सदस्य पर्लियामेंट द्वारा निर्धारित होगा, जो सदस्य पर्लियामेंट के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
6. 1996 महिला आरक्षण बिल की जाँच : एक रिपोर्ट में जाँच किया गया कि 1996 महिला आरक्षण बिल में यदि संविधान में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की अनुमति हो जाए, तो आरक्षित सीटों को ओबीसी महिलाओं के लिए भी प्रदान किया जाना चाहिए। इसमें यह भी सुझाव दिया गया कि राज्यसभा और विधायिका परिषदों के लिए आरक्षण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, लेकिन इन सुझावों को इस बिल में शामिल नहीं किया गया है।
सीटों को लेकर क्या बदलेगा?
– लोकसभा में इस समय 82 महिला सदस्य हैं. इस बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सदस्यों के लिए 181 सीटें महिलाएं के लिए रिजर्व हो जाएंगी |
– इस बिल में संविधान के अनुच्छेद- 239AA के तहत राजधानी दिल्ली की विधानसभा में भी महिलाओं को 33% आरक्षण दिया गया है. यानी, अब दिल्ली विधानसभा की 70 में से 23 सीटें महिलाओं के लिए रहेंगी |
– सिर्फ लोकसभा और दिल्ली विधानसभा ही नहीं, बल्कि बाकी राज्यों की विधानसभाओं में भी 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा |
– लोकसभा में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं है.एससी-एसटी की आरक्षित सीटों को हटा देने के बाद लोकसभा में 412 सीटें बचती हैं |
– इन सीटों पर ही सामान्य के साथ-साथ ओबीसी के उम्मीदवार भी लड़ते हैं. इस हिसाब से 137 सीटें सामान्य और ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए होंगी |
क्या अनारक्षित सीटों पर नहीं लड़ सकेंगी महिलाएं?
– ऐसा नहीं है. जो सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं होंगी,वहां से भी महिलाएं चुनाव लड़ सकती हैं. इस बिल को इसलिए लाया गया है ताकि लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ सके |
– बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा में 181 सदस्य महिलाएं होंगी. इस समय सिर्फ 82 महिला सांसद ही हैं. लेकिन अगली बार से महिला सांसदों की संख्या कम से कम 181 तो होगी ही |
राज्यसभा में नहीं मिलेगा आरक्षण?
राज्यसभा और जिन राज्यों में विधान परिषद की व्यवस्था है, वहां महिला आरक्षण लागू नहीं होगा | अगर ये बिल कानून बनता है तोये सिर्फ लोकसभा और विधानसभाओं पर ही लागू होगा |
कब से लागू होगा बिल?
अगर ये बिल कानून बन भी गया तो भी अभी इसे लागू होने में समय लगेगा. बताया जा रहा है कि परिसीमन के बाद ये कानून लागू होगा | 2026 के बाद देश में लोकसभा सीटों का परिसीमन होना है | इस परिसीमन के बाद ही महिला आरक्षण लागू होगा | यानी, 2024 के लोकसभा चुनाव के समय ये कानून नहीं होगा |
महिला आरक्षण बिल के आगे की कदम बढ़ाने का यह नया प्रयास है जो देश के राष्ट्रीय संसद में महिलाओं के बड़े संख्यात्मक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने का है। इस बिल के पारित होने से देश के सामाजिक और राजनीतिक संरचना में महिलाओं के योगदान को मजबूती मिलेगी, जो हमारे समाज के लिए एक बड़ी कदम है।