हाई कोर्ट निर्णय: बेल आवेदनों में अब अपराधिक इतिहास अनिवार्य, इस महीने से प्रभावी होगा आदेश

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बिलासपुर| हाई कोर्ट ने दिनों दिन बढ़ती अपराध को देखते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस आदेश के अनुसार, अब हाई कोर्ट में जमानत अर्जियों में आरोपी की क्रिमिनल हिस्ट्री को भी दर्ज करना अनिवार्य होगा। अब अर्जियों को जमानत मिलने के लिए आरोपी की क्रिमिनल इतिहास का विवरण देना होगा, और अगर यह नहीं किया जाता, तो उनकी जमानत अर्जी को मंजूरी नहीं मिल सकेगी|

हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसके अनुसार अपराधों को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। इस फैसले के अनुसार, हाई कोर्ट ने 30 अक्टूबर के बाद यह आदेश प्रभावी कर दिया है। इस आदेश के अंतर्गत, हाई कोर्ट ने महाधिवक्ता, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल, और हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव को एक पत्र जारी कर दिया है, जिसमें वकीलों के लिए विशेष सूचना शामिल है। यह आदेश सीआरपीसी की धारा 439 के संदर्भ में है, और इसके अनुसार अब जमानत अर्जियों में आरोपी की क्रिमिनल इतिहास को शामिल करना अनिवार्य होगा। अब बिना क्रिमिनल इतिहास के, जमानत आवेदनों को डिफॉल्ट माना जाएगा। इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति की कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं है, तो वह भी अपने आवेदन में इसका उल्लेख करना होगा। इस फैसले के लागू होने से अब जमानत के मामलों में देरी कम होगी|

कई मामलों में आपराधी के आपराधिक इतिहास की जानकारी उपलब्ध नहीं होती, जिसके कारण राज्य सरकार को उसके जवाब के आने तक मामले की सुनवाई में देरी हो जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिए यह आदेश लागू किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी करते समय कहा है कि जब किसी आपराधी की जमानत की अर्जी पर निर्णय लिया जाता है, तो उस व्यक्ति पर आरोप, सजा की महत्वपूर्णता, आपराधिक इतिहास, और सभी पहलुओं का विचार किया जाना चाहिए।

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