बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुजारा-भत्ता को लेकर कही बड़ी बात, ससुराल में रहने वाली पत्नी को भी मिलेगा गुजारा भत्ता

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुजारे भत्ते के संबंध में महत्वपूर्ण बात कही है। कोर्ट ने कहा है कि पत्नी अपनी ससुराल यानी मेट्रोमोनियल (वैवाहिक) घर में रहती है। केवल इस आधार पर उसे गुजारे-भत्ते से वंचित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने पत्नी के अंतरिम गुजारे भत्ते के आदेश को कायम रखते हुए यह फैसला सुनाया है। अदालत ने पत्नी के अंतरिम भरण-पोषण के आदेश के खिलाफ दायर पति की याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस नीला गोखले ने स्पष्ट किया कि गुजारा भत्ता का उद्देश्य शादी की विफलता के चलते पैदा हुए संकट अथवा गरीबी की स्थिति में आश्रित पति अथवा पत्नी को सहायता पहुंचाना है ताकि उन्हें परेशानी का सामना न करना पड़े।जस्टिस गोखले ने कहा कि गुजारा-भत्ता तय करने का कोई सीधा फार्मूला नहीं है, लेकिन भरण-पोषण की राशि उचित और वाजिब होनी चाहिए। यह राशि इतनी अधिक नहीं होना चाहिए कि एक पक्ष के लिए दमनकारी बन जाए और दूसरे पक्ष को दरिद्रता की ओर ले जाए। गुजारे भत्ते की राशि को असहनीय और सीमा को लांघने से बचना चाहिए। गौरतलब है कि पति ने जहां गुजारे भत्ते के आदेश को अनुचित बताया था, वहीं पति ने इसके असंतुलित होने का दावा किया था।

केस से जुड़े दंपती का विवाह 26 जून 2012 को कर्नाटक में हुआ था। उन्हें 10 वर्ष का एक बेटा है। संबंध में कटूता के चलते पति ने कल्याण सिविल कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर की है, जबकि पत्नी ने अपने और बेटे के लिए 40-40 हजार रुपये अंतरिम गुजारे भत्ते की मांग की थी। सिविल कोर्ट ने 16 जून 2023 को याचिका पर सुनवाई की। पति को संयुक्त रूप से 25 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया। इस आदेश के खिलाफ पति ने हाई कोर्ट में अपील की है।सुनवाई के दौरान पति के वकील ने कहा कि पत्नी ने उसके घर में साथ रहने के लिए सहमति दी है। यह घर उसका मेट्रोमोनियल घर है। इसलिए उसे घर के किराए की जरूरत नहीं है। उनके मुवक्किल के वेतन से घर की ईएमआई भी जाती है। रिक्रूटमेंट फ्रीलांसिंग के जरिए पत्नी हर माह दस हजार रुपये कमाती है। पत्नी के पास एमबीए की डिग्री है। वहीं, पत्नी के वकील ने कहा कि उनकी मुवक्किल के पति इंजिनियर हैं, उनका मासिक वेतन एक लाख रुपये से अधिक है। उनके मुवक्किल पर बच्चे की परवरिश और पढ़ाई की जिम्मेदारी भी है।दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस गोखले ने कहा कि पत्नी अकेले दस साल के बच्चे की देखरेख कर रही है। पत्नी मेट्रोमोनियल घर में रहती है। केवल इसलिए उसे गुजारे भत्ते से वंचित नहीं किया जा सकता। गुजारे भत्ते के आदेश में कोई खामी नहीं है।