फर्जी चोट का बहाना बनाकर घरेलू मैचों से बचते हैं खिलाड़ी
नई दिल्ली| पिछले महीने ही संन्यास का ऐलान कर एमएस धोनी पर बड़ा आरोप लगाने वाले पूर्व क्रिकेट मनोज तिवारी ने BCCI के घरेलू क्रिकेट में अनिवार्य रूप से खेलने के निर्देश का समर्थन किया है| कुछ दिन पहले ही सालाना अनुबंध का ऐलान करते हुए BCCI ने कहा था कि जो खिलाड़ी फिट हैं और राष्ट्रीय ड्यूटी पर नहीं हैं, उन्हें अपनी-अपनी राज्य टीमों के लिए खेलना होगा| तिवारी ने कहा कि रणजी ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट को बचाने का यही तरीका है| इस बल्लेबाज ने यह भी कहा कि कैसे आईपीएल के महंगे अनुबंध घरेलू मैचों में उनके प्रदर्शन और लक्ष्य को प्रभावित कर रहे हैं|
उन्होंने एक चैनल के कार्यक्रम में कहा कि मैं कई ऐसे युवा और स्थापित खिलाड़ियों को देख चूका हूँ, जो घरेलू मैचों के दौरान केवल आईपीएल की ही बातें करते है| यहां तक कि क्षेत्रीय मैचों में भी| जब मैं खेला करता था, तो खिलाड़ियों का विमर्श पूरी तरह से आईपीएल के बारे में ही हुआ करता था| तिवारी ने कहा कि यह स्वभाविक सी बात कि जब रणजी ट्रॉफी से पहले खिलाड़ियों को आईपीएल अनुबंध दिए जाते हैं, तो यह किसी न किसी को प्रभावित करते हैं| जब खिलाड़ियों को पांच-सात करोड़ रुपये मिलते हैं, तो उनकी मनोदशा पर असर पड़ता है और उनके जहन में इसी को लेकर विचार चलते रहते हैं|
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि कैसे खिलाड़ी खुद को आईपीएल में फिट रखने के लिए झूठी चोट का बहाना बनाते हैं| तिवारी ने कहा कि जब रणजी ट्रॉफ मैच आते हैं, तो वह बाउंड्री पर चौका रोकने के लिए डाइव (गोता) लगाने से बचते हैं| ये चार रन किसी घरेलू टीम के लिए खासे अहम हो सकते हैं| इसके बाद खिलाड़ी कहते हैं कि उन्हें निगल हो गया है| एक समय खिलाड़ी चोट के बावजूद अपनी टीमों के लिए खेलते थे, लेकिन अब वे मैच से बाहर बैठने की कोशिश कर रहे हैं या अगले कुछ मैचों की अनदेखी कर रहे हैं|