गांव की अनोखी परंपरा : बाजा बजते ही इच्छाधारी नाग बन जाते हैं लोग, फिर मंत्रों के साथ करना पड़ता है शांत
जांजगीर चांपा: नाग पंचमी का त्यौहार देशभर मे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है| कहीं नाग पंचमी के दिन अखाड़ा का आयोजन किया जाता है, तो कहीं आदमी नाग का रूप लेकर नगमत भी करते हैं और मंत्र के माध्यम से सर्प को नियंत्रित करने का प्रदर्शन करते हैं| वैसे ही नगमत की परंपरा जांजगीर चांपा जिले मे खास रूप से मनाया जाता है| नाग पंचमी हर वर्ष सावन मास की कृष्ण पक्ष के पंचमी तिथि को मनाया जा जाता है| इस वर्ष नागपंचमी 09 अगस्त को मनाया जाएगा| जांजगीर चांपा जिले में नाग पंचमी का त्यौहार मनाने की अपनी अलग ही परम्परा है| यहां किसान खेती किसानी का काम पूरी तरह रोक देते हैं और धरती पर हल ही नहीं, बल्कि कोई भी लोहे के औजार को जमीन में नहीं गड़ाते हैं| नागपंचमी के दिन कच्चा दूध और लाई को खेतों मे रखने की परम्परा है, जिसे किसान सुबह से ही नाग को दूध पिलाने के उद्देश्य से दूध लाई लेकर खेतो मे पहुंचते हैं|
जांजगीर चांपा जिला मुख्यालय से लगे ग्राम पेंड्री के ग्रामीण क्षेत्र मे भी नागपंचमी के अवसर पर खास कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसे ग्रामीण नगमत कहते हैं| इसके लिए पहले मिट्टी कीचड़ युक्त मैदान बनाया जाता है और मांदर, झांझ की धुन पर बाजा बजाया जाता है| इसके साथ ही अग्नि में हवन और मन्त्रोचार के बाद आयोजन शुरू होता है| इस नगमत में इंसानों के द्वारा सांपो की तरह व्यवहार करता है| गीली मिट्टी के बने मैदान में आदमी अपना सुध-बुध खोकर सांप की तरह लोट मारना शुरू करते हैं और उसे फिर से मानव रूप मे लाने और शांत करने के लिए बैगाओ की टोली मंत्रों का जाप करती है|
गांव के लोगों की अवधारणा है कि बैगा सांप को अपने मंत्र से नियंत्रित कर सकते हैं और उसे किसी भी परिस्थिति में घरों से बाहर निकाल सकते हैं| अगर किसी को सांप ने काट लिया, तो बैगा अपने मंत्र शक्ति से उसका जहर निकालकर जान बचा सकता है| लेकिन धीरे-धीरे लोग जागरूक हो गए हैं और सांप को घर से बाहर निकालने के लिए प्रशिक्षित रेस्क्यू टीम को बुलाते हैं और सांप काटने पर अस्पताल मे उपचार कराना ही उचित समझते हैं| लेकिन आज भी बैगा अपनी पुरानी परंपरा को जीवित रखने में जुटे हैं| उनके द्वारा सांप को कभी भी मारा नहीं जाता, बल्कि उन्हें सुरक्षित स्थान में छोड़ दिया जाता है|