जशपुर में महिला सरपंच को हटाना पड़ा महंगा, SC ने CG सरकार पर लगाया जुर्माना, सरपंच को भी किया बहाल

जशपुर| जशपुर जिले से बड़ी खबर मिली है। यहां की एक महिला सरपंच को हटाना महंगा पड़ गया है। दरअसल, इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महिला सरपंच को कार्यकाल पूरा करते तक बहाल कर दिया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार पर 1 लाख का जुर्माना लगाया है। बता दें कि साजबहार पंचायत की सरपंच का नाम सोनम लकड़ा है। पिछले महीने ही धारा 40 के तहत फरसाबहार एसडीएम ने सरपंच को हटाने की कार्रवाई की थी, जिसके बाद सरपंच सोनम लकड़ा सुप्रीम कोर्ट के शरण मे चली गई थी।

जानकारी के अनुसार जशपुर जिले के सुदूरवर्ती गांव की निर्वाचित महिला सरपंच को अनुचित कारणों से हटाने के लिए राज्य सरकार से नाखुशी जताते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार चाहती है कि सरपंच बाबू (नौकरशाह) के सामने भीख का कटोरा लेकर जाए। उप-संभागीय अधिकारी (राजस्व) द्वारा पारित निष्कासन आदेश को रद्द करते हुए, पीठ ने महिला को उसका कार्यकाल पूरा होने तक सरपंच के पद पर बहाल कर दिया।

इस दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने जशपुर जिले के एक गांव की महिला सरपंच सोनम लकड़ा को हुए मानसिक उत्पीड़न के लिए राज्य सरकार पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। इसका भुगतान चार सप्ताह में किया जाना है। पीठ ने कहा कि राज्य महिला को परेशान करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से राशि वसूलने के लिए स्वतंत्र है। पीठ ने कहा कि यह एक निर्वाचित सरपंच को हटाने में अधिकारियों की ओर से की गई मनमानी का मामला है, एक युवा महिला जिसने छत्तीसगढ़ के एक सुदूर क्षेत्र में अपने गांव की सेवा करने के बारे में सोचा था।

शीर्ष अदालत ने निर्माण सामग्री की आपूर्ति और निर्माण कार्य पूरा होने में देरी के कारण उसे सरपंच के पद से हटाने के लिए कार्यवाही शुरू करने को बेकार का बहाना करार दिया। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा क निर्माण कार्यों में इंजीनियर, ठेकेदार और सामग्री की समय पर आपूर्ति के अलावा मौसम की अनिश्चितताएं शामिल होती हैं और इसलिए, निर्माण कार्यों में देरी के लिए सरपंच को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जब तक कि यह नहीं पाया जाता कि काम के आवंटन या सौंपे गए किसी विशिष्ट कर्तव्य को करने में देरी हुई थी।

 

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