प्रधानमंत्री के खिलाफ साेशल मीडिया में अशोभनीय टिप्पणी करने वाले पूर्व डिप्टी मेयर की जमानत याचिका खारिज, पढ़िए कोर्ट ने अपने फैसले में क्या लिखा


रायपुर। सोशल मीडिया में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी करने वाले पूर्व डिप्टी मेयर बृजमोहन सिंह की जमानत आवेदन को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि आवेदनकर्ता जो कि स्वयं पूर्व में डिप्टी मेयर के रुप में पदस्थ रहा है उसके द्वारा देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध जिस तरह की अश्लील, अमर्यादित कमेंट सोशल मीडिया में किया गया वह आवेदक/ अभियुक्त की दूषित मानसिकता को दर्शाता है। प्रकरण जांच स्तर पर है। वर्तमान में सोशल मीडिया पर बढ़ रही इस तरह की वारदातों को दृष्टिगत रखते हुए आवेदक/आरोपी को जमानत का लाभ दिया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है।

सोशल मीडिया में पीएम के खिलाफ टिप्पणी करने के आरोप में बृजमोहन सिंह के खिलाफ थाना-वैशाली नगर, जिला दुर्ग (छ.ग.) की पुलिस ने अपराध क्रमांक 156/2025 अंतर्गत धारा 296, 353(1)(b), 353(1)(c), 353 (2) बी.एन.एस. 2023 एवं 67 (ए) सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में 03.06.2025 को गिरफ्तार कर विचारण न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था, जहां से आरोपी को केन्द्रीय जेल भेज दिया है। जेल में बंद आरोपी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में जमानत आवेदन पेश किया था। कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि आरोपी के द्वारा कोई भी अपराध नहीं किया गया है।
थाना वैशाली नगर के द्वारा मात्र शंका के आधार पर एवं शिकायतकर्ता द्वारा स्वयं को बचाने के षडयंत्र बनाकर हिरासत में लिया गया है । आवेदक/आरोपी पेशे से राजनीतिक व्यक्ति है तथा उनकी जिला दुर्ग में अच्छी साख एवं प्रतिष्ठा है एवं पूर्व में आवेदक/आरोपी भिलाई शहर का पूर्व डिप्टी मेयर भी रह चुका है। वर्तमान प्रकरण में आवेदक आरोपी के विरुद्ध शिकायतकर्ता तुषार देवांगन द्वारा एक झूठी लिखित शिकायत थाना वैशाली नगर में की है। शिकायतकर्ता के फेसबुक पोस्ट पर आवेदक आरोपी द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध भद्दे और गंदे कमेंट्स किया गया है, जिससे आम जानमानस में आक्रोश एवं शांति भंग होने की संभावना है।
यदि आवेदक/आरोपी द्वारा उक्त तरह का कृत्य किया गया होता तो आवेदक/आरोपी उक्त कमेंट अथवा पोस्ट को डिलीट भी कर सकता था। आवेदक / आरोपी के द्वारा किसी भी प्रकार से किसी भी व्यक्ति या समुदाय को राज्य के विरुद्ध या लोक प्रशांति के विरुद्ध अपराध करने के लिये उत्प्रेरित नहीं किया गया हैं एवं किसी वर्ग या समुदाय को किसी भी दूसरे समुदाय के विरुद्ध किसी भी प्रकार का अपराध करने के लिए उद्दीप्त नहीं किया गया है। आवेदक/आरोपी को षडयंत्रपूर्वक राजनीतिक परिस्थितियों के चलते झूठे प्रकरण में फंसाया गया है जो कि न्यायोचित नहीं है। उसका पूर्व कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है जिसके जमानत उपरांत अन्यत्र कही फरार होने की कोई संभावना नहीं है।
आवेदक के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत का हवाला भी दिया है। अधिवक्ता ने कहा कि जमानत मिलने की स्थिति में आवेदक न्यायालय द्वारा लगाई गई समस्त शर्तों का पालन करने को तैयार है।
राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक नंदनी चंद्रवंशी ने जमानत देने का विरोध किया। अतिरिक्त लोक अभियोजक ने कहा कि आरोपी एक सभ्य समाज का व्यक्ति है तथा समाज का प्रतिनिधित्व करता है। अपने पद के अनुरुप कार्य न करते हुए ऐसा कृत्य किया जिससे समाज, सामाजिक अशांति से प्रभावित हो जो उसका एक कुत्सित प्रयास है। आरोपी द्वारा राष्ट्र के खिलाफ जाकर युद्ध के माहौल में देश के प्रधानमंत्री के विरुद्ध अश्लील व अति अशोभनीय गाली-गलौच लिखा है। उसके यह शब्द राष्ट्र, समाज एवं राष्ट्र के पदस्थ प्रशासनिक अधिकारियों के सम्मान को आघात है। इस तरह के अपराध को आज न रोका जाये तो समाज किस दिशा में चला जायेगा यह चिन्तन का विषय है। आरोपी को जमानत का लाभ दिया जाता है तो समाज में इसका दुष्प्रभाव पडेगा।
प्रार्थी की ओर से आरोपी द्वारा प्रस्तुत जमानत आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को पसंद करना, नहीं करना उस व्यक्ति का व्यक्तिगत मत है, किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि आरोपी द्वारा भारत के प्रधानमंत्री के विरुद्ध आपत्तिजनक भाषा/शब्दों का प्रयोग करते हुए उसे या किसी अन्य व्यक्ति को अपमानित करे।
तुषार देवांगन द्वारा थाना प्रभारी वैशाली नगर लिखित शिकायत पेश किया कि 03 जून 2025 को समय लगभग 08.00 बजे उसके मोबाईल नंबर 9343003184 में सोशल मीडिया फेसबुक एकाउंट पर शांतिनगर निवासी बृजमोहन सिंह द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में जानबूझ कर अश्लील एवं गंदे शब्दों का प्रयोग करते हुए बहुत ही गन्दा कमेंट किया गया है। उक्त कमेंट को पढ़कर बहुत ही बुरा लगा। इसे लेकर देशभक्त लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है। कभी भी अप्रिय घटना दंगा फसाद होकर शांति भंग हो जाएगा । बृजमोहन सिंह के अश्लील अपमानजनक टिप्पणी से छत्तीसगढ के ओबीसी सामाज एवं अन्य समुदाय के बीच आपसी शत्रुता घृणा एवं वैमनस्यता फैलाने का पूरा प्रयास किया गया है।
अदालत ने अपने फैसले में लिखा है कि आरोपी के अधिवक्ता द्वारा अपने आवेदन में आरोपी को शहर का पूर्व डिप्टी मेयर रह चुका होना बताया गया है। केस डायरी के साथ संलग्न फेसबुक पेज की प्रति जिसमें आवेदक,आरोपी के द्वारा जो कमेंट किया गया वह अशोभनीय, अमर्यादित होना परिलक्षित होता है। संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत देश के सभी व्यक्तियों को वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदाय की है, उक्त स्वतंत्रता का उपयोग मर्यादाओं में रहकर मर्यादित ढंग से किया जाना चाहिए । आवेदक/आरोपी जो कि स्वयं डिप्टी मेयर के पद पर पदस्थ रहा है उसके द्वारा देश के सर्वोच्च पद पर आसीन देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध सोशल मिडिया जैसे प्लेटफार्म पर अश्लील, अमर्यादित भाषाओं का इस्तेमाल करते हुए उक्त कमेंट पोस्ट किया गया है। जिससे उनकी गरिमा धूमिल होती है।
अदालत ने अपने फैसले में लिखा है कि यद्यपि प्रकरण में पंजीबद्ध अपराध 03 वर्ष के अधिक अवधि के कारावास से दण्डनीय अपराध नहीं है, किन्तु आरोपी के द्वारा जो कि स्वयं पूर्व में डिप्टी मेयर के रुप में पदस्थ रहा है उसके द्वारा देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध जिस तरह की अश्लील, अमर्यादित कमेंट सोशल मीडिया में किया गया वह आवेदक / अभियुक्त की दूषित मानसिकता को दर्शाता है। प्रकरण जांच स्तर पर है। वर्तमान में सोशल मीडिया पर बढ़ रही इस तरह की वारदातों को दृष्टिगत रखते हुए आवेदक/आरोपी को जमानत का लाभ दिया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है। अतः प्रकरण की उपरोक्त सम्पूर्ण परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए आवेदक / आरोपी बृजमोहन सिंह को जमानत पर रिहा किया जाना उचित प्रतीत नही होता है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है।