उत्तराधिकार को लेकर दत्तक पिता का दावा खारिज, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला


बिलासपुर। अगर किसी अविवाहित लड़की की मौत हो जाती है, तो उसकी चल-अचल संपत्ति पर उसके दत्तक पिता का अधिकार नहीं होगा, चाहे उन्होंने उसे बचपन से पाला-पोसा हो और दस्तावेजों में उनका नाम नामिनी के रूप में भी दर्ज हो। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक मामले में साफ कर दिया है कि ऐसी स्थिति में केवल लड़की की मां ही उसकी कानूनी वारिस मानी जाएगी।

यह मामला रायगढ़ जिले के पुसौर क्षेत्र से जुड़ा है। यहां रहने वाले खितिभूषण पटेल के छोटे भाई पंचराम पटेल पुलिस में कांस्टेबल थे। 1987 में पंचराम की शादी फुलकुमारी पटेल से हुई, जिससे एक बेटी ज्योति पटेल का जन्म हुआ। लेकिन 1993 में पत्नी फुलकुमारी ससुराल छोड़कर चली गई। साल 1999 में पंचराम की सेवा काल में मौत हो गई। इसके बाद बेटी ज्योति अपने दादा के साथ रहने लगी। कुछ समय बाद दादा की भी मृत्यु हो गई। इसके बाद पंचराम के बड़े भाई खितिभूषण ने ज्योति को विधिवत गोद लिया और उसकी पढ़ाई-लिखाई से लेकर हर जिम्मेदारी निभाई। बाद में ज्योति को पिता की जगह अनुकंपा नियुक्ति भी मिली, लेकिन अविवाहित ज्योति का 2014 में निधन हो गया।
ज्योति की सभी बैंक जमा राशि, बीमा पॉलिसी और नौकरी से जुड़ी सुविधाओं में खितिभूषण का नाम नामिनी के तौर पर दर्ज था। बेटी की मौत के बाद उन्होंने सिविल कोर्ट में उत्तराधिकार के लिए आवेदन किया, लेकिन वहां से मामला खारिज हो गया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की।
हाईकोर्ट के जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए साफ किया कि हिंदू उत्तराधिकार कानून के अनुसार, अविवाहित लड़की की संपत्ति उसकी मां को मिलेगी। भले ही किसी दस्तावेज में दत्तक पिता का नाम नामिनी के रूप में हो, फिर भी संपत्ति का कानूनी बंटवारा उत्तराधिकार कानून के तहत ही होगा। कोर्ट ने कहा कि चूंकि मृतक अविवाहित थी और उसके पिता का पहले ही निधन हो चुका है, ऐसे में उसकी मां ही उसकी एकमात्र कानूनी वारिस होगी। दत्तक पिता का कोई अधिकार नहीं बनता। हाईकोर्ट ने सिविल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए खितिभूषण पटेल की अपील को खारिज कर दिया।