दुर्ग में आरटीपीसीआर टेस्टिंग बढ़ाए जाने की जरूरत – केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग
दुर्ग। जिले में कोरोना की भयावह स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की टीम को दुर्ग जिले में कोरोना की स्थिति का निरीक्षण करने के लिए भेजा है । केंद्रीय टीम में शामिल भारत सरकार के ज्वाइंट सेक्रेटरी जिगमत तकपा , रीजनल डायरेक्टर MOHFW ( रायपुर ) के एम काम्बले , पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट ( कोलकाता ) डॉ . लीना बंधोपाध्याय , लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज दिल्ली के प्रोफेसर ( मेडिसिन ) डॉ . अनिल कुमार , एनएचएम के स्टेज प्रोग्राम मैनेजर जावेद कुरैशी के साथ दुर्ग सर्किट हाउस में सांसद विजय बघेल ने विस्तार से चर्चा की । कोविड -19 महामारी को नियंत्रित करने के बारे में पूछा जिस पर केंद्रीय टीम ने सांसद विजय बघेल को बताया कि दुर्ग जिले में आरटीपीसीआर टेस्टिंग केवल 10 प्रतिशत ही हो रही है और रैपिड टेस्टिंग ज्यादा हो रही है जबकि कोरोना की सही पुष्टि आरटीपीसीआर टेस्ट से ही होती है । दुर्ग में आरटीपीसीआर टेस्टिंग बढ़ाए जाने की जरूरत है।
केंद्रीय टीम ने बताया कि दुर्ग जिले में कंट्रोल पैनल का अभाव है । कंट्रोल पैनल द्वारा प्रत्येक पॉजिटिव मरीज की स्थिति को आंकलित करना चाहिए और उसकी बीमारी का स्टेज देखकर उसे होम क्वॉरेंटाइन या हॉस्पिटलाइज्ड कराने की सलाह देनी चाहिए ।
होम क्वॉरेंटाइन वाले मरीजों को ऑक्सीमीटर देना चाहिए या उन्हें ऑक्सीमीटर खरीदने की सलाह देनी चाहिए ताकि वे समय समय पर अपना अक्सीजन लेवल चेक करते रहें । साथ ही स्वास्थ्य विभाग के कंट्रोल रूम से प्रत्येक मरीज को नियमित कॉल करके उसका ऑक्सीजन लेवल पूछा जाना चाहिए और ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उन्हें अविलंब हॉस्पिटल में एडमिट करने हेतु स्वयं स्वास्थ्य विभाग द्वारा ही सक्रियता बरती जानी चाहिए ।
वर्तमान में दुर्ग में यही स्थिति है कि होम क्वॉरेंटाइन पॉजिटिव मरीजों को कंट्रोल रूम से कोई कॉल नहीं जाता है और गंभीरतम स्थिति में आने पर वे स्वयं ही हॉस्पिटलाइज होने के लिए भटकते है , इससे उनका बहुत समय व्यर्थ ही निकलता जाता है और मरीज की स्थिति क्रिटिकल होती जाती है ।
हॉस्पिटल में बेड की कमी को लेकर केंद्रीय टीम ने चिंता जताई कि मरीज की अवस्था में सुधार होने के बाद भी मरीज हॉस्पिटल नहीं छोड़ रहे हैं जबकि अवस्था में सुधार होने के बाद आगे का इलाज होम क्वारंटाइन होकर अच्छे से किया जा सकता है , इससे दूसरे जरूरतमंद मरीज को बेड मिल सकेगा । लेकिन मरीज पूरे सुधार के बाद ही घर जाना चाहते हैं । इस कारण पुराने मरीज के आवश्यकता से अधिक समय तक हॉस्पिटलाइजेशन में रहने से बेड जल्दी खाली नहीं हो पा रहे हैं । ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिससे कि अत्यंत जरूरतमंद मरीज को ही हॉस्पिटल में भर्ती किया जाए ।
केंद्रीय टीम ने वार्तालाप के दौरान सांसद विजय बघेल को बताया कि दुर्ग में पुराने नेचर वाला ही कोरोनावायरस है लेकिन स्प्रेड की क्वालिटी ज्यादा है , जिसका कारण आमजनों में जागरूकता का अभाव और लापरवाही है । मास्क का त्याग करना , भीड़भाड़ वाली जगहों में आना जाना और कोरोना से बचाव के अनिवार्य उपायों की अनदेखी करना प्रमुख है । यही कारण है कि कोरोना दुर्ग में भयावह स्थिति तक पहुंच गया है ।