कोरोना ने किया गजब, खत्म हो गया सबसे बड़ा ओजोन होल

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10 लाख वर्ग किमी चौड़ा था ओजोन होल

आर्कटक । कोरोना वायरस से अब तक नदियों और प्रदूषण के सुधरने की खबर आई थी, मगर अब ताजा जानकारी ने करोड़ों लोगों को सुकून दिया है। कोरोना काल में आर्कटिक को लेकर एक बेहद अच्छी खबर सामने आ रही है। दरअसल, वातावरण की असामान्य परिस्थितियों के कारण आर्कटिक के ऊपर तैयार हुआ ओजोन का सबसे बड़ा होल भर गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, 10 लाख वर्ग किलोमीटर चौड़ा यह ओजोन होल बंद हो गया है। इसकी पुष्टि यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फॉरकास्ट की दो मौसम संबंधी सेवाओं ने की है। कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस और कॉपरनिकस एटमॉसफेयर मॉनिटरिंग सर्विस ने ताजा गतिविधियों पर कहा कि यह अभूतपूर्व है। कॉपरनिकस ने ट्वीट किया, अभूतपूर्व 2020 उत्तर अक्षांश का ओजोन होल बंद हो गया है। पोलर वॉरटेक्स स्प्लिट से आर्कटिक में ओजोन हवा आ रही है जो कि पिछले सप्ताह के पूर्वानुमान के करीब है। यह संभावना कॉपरनिकस एटमॉसफेयर मॉनिटरिंग सर्विस ने जताई थी।

ओजोन में छेद भी कोरोना की वजह

ओजोन की परत के कारण धरती पर सूरज की अल्ट्रावॉयलट किरणें नहीं आ पाती हैं। यह मंडल धरती को हानिकारक रेडिएशन से बचाता है। यह रेडिएशन स्किन कैंसर की वजह बनता है। 70 के दशक में वैज्ञानिकों ने पाया था कि मानव जाति की गतिविधियों के कारण ओजोन की परत में ह्रास हो रहा है। जिसके कारण धरती पर मौत का खतरा बढ़ गया है।

लॉकडाउन नहीं है वजह

मार्च में वैज्ञानिकों ने पाया कि उत्तरी ध्रुव में ओजोन की परत फिर से बन रही और तब माना गया कि तापमान कम होने के कारण हुआ है। यह ओजोना का सबसे बड़ा होल माना जाता रहा है। अगर यह दक्षिण की तरफ बढ़ता जाता है तो यह बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने माना है कि परत के भरने की वजह कोरोना वायरस को रोकने के लिए उठाए गए लॉकडाउन जैसे कदम नहीं जिससे पलूशन का स्तर काफी कम हुआ है।

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