गलवान संघर्ष के 7 दिन बाद आखिरकार चीन ने माना, भारतीय जवानों ने उसके करीब 20 सैनिक मारे
नई दिल्ली| चीन ने सोमवार (22 जून) को पहली बार स्वीकार किया कि उसने पिछले हफ्ते लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास हुई हिंसक झड़प में 20 से कम सैनिक गंवाए हैं। भारतीय मीडिया द्वारा एक दिन पहले ही बताया गया था कि भारत ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को 16 चीनी सैनिकों के शव सौंपे थे।झड़प के बाद नई दिल्ली ने कई दिनों पहले ही आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी थी कि लद्दाख की गलवान घाटी में पीएलए के साथ संघर्ष में उसके 20 जवान शहीद हुए हैं, वहीं बीजिंग अपने हताहतों के बारे में अभी तक चुप्पी साधे हुए था। बीजिंग में चीनी कम्युनिटी पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने सोमवार को चीनी विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि चीन हताहतों कि संख्या इसलिए नहीं बताना चाहता, क्योंकि वह नहीं चाहता कि सीमा पर संघर्ष बढ़े।हमारे हताहतों कि संख्या 20 से कम है। अगर सही संख्या बता दी तो भारत सरकार फिर से दबाव में आ जाएगी। ग्लोबल टाइम्स ने चीनी विश्लेषकों और पर्यवेक्षकों के हवाले से दावा किया है कि भारतीय अधिकारी राष्ट्रवादियों को संतुष्ट करने के लिए चीन के हताहतों का अनुमान बढ़ा चढ़ा कर बता रहे हैं। केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी. के. सिंह के उस बयान का उल्लेख किया गया, जिसमें उन्होंने शनिवार (19 जून) को दावा किया था कि गलवान घाटी में गतिरोध में मारे गए पीएलए सैनिकों की संख्या 40 से अधिक थी। वहीं, चीन ने केंद्रीय मंत्री एवं भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख, जनरल (अवकाशप्राप्त) वी.के सिंह की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देने से सोमवार (22 जून) को इनकार किया जिसमें उन्होंने कहा था कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 40 से अधिक चीनी सैनिक भी मारे गए हैं। चीन ने कहा कि उसके पास इस मुद्दे पर जारी करने के लिए कोई सूचना नहीं है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बीजिंग में एक प्रेस वार्ता के दौरान दोहराया कि, “चीन और भारत कूटनीतिक एवं सैन्य माध्यमों के जरिए स्थिति को सुलझाने के लिए एक-दूसरे के संपर्क में हैं।” सिंह की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “मेरे पास इस बारे में देने के लिए कोई सूचना नहीं है।”
1967 के बाद पहली बार PLA के साथ झड़प में भारतीय सैनिक की मौत
सोमवार (15 जून) को हुआ संघर्ष नाथू ला में 1967 में हुई उस झड़प के बाद सबसे बड़ा संघर्ष है जिसमें चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे और भारत के लगभग 80 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद 1975 में चीन की सेना के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सैनिक की मौत हुई थी। 1975 में अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में दोनों देशों के बीच अस्थाई सीमा के पास घात लगाकर किए गए हमले में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।
पूर्वी लद्दाख के इलाकों में चल रहा है विवाद
भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध चल रहा है। काफी संख्या में चीनी सैनिक अस्थायी सीमा के अंदर भारतीय क्षेत्र में पैंगोंग सो सहित कई स्थानों पर घुस आए हैं। भारतीय सेना ने घुसपैठ पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए उनकी तुरंत वापसी की मांग की है। गतिरोध दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच पिछले कुछ दिनों में कई वार्ताएं हुई हैं। भारत और चीन का सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर है। चीन, तिब्बत के दक्षिणी हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग बताता है।
5 मई को भारत और चीन की सेना में झड़प
पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब खराब हुई जब बीते पांच मई को पेगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई। दोनों ओर से पथराव भी हुआ था, जिसमें दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे। यह घटना अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद दोनों पक्ष ”अलग” हुए, लेकिन गतिरोध जारी रहा। इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दोनों देशों के लगभग 150 सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। सूत्रों के अनुसार, इस घटना में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे।