हाईकोर्ट ने शिक्षक पदोन्नति लगाई रोक, शासन से दो सप्ताह में मांगा जवाब

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने टीचर और हेडमास्टरों के प्रमोशन पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। दरअसल, राज्य शासन ने प्रमोशन के लिए पांच साल के अनुभव को खत्म कर तीन साल कर दिया है। इसके चलते सीनियर टीचर से पहले जूनियर टीचर प्रमोशन के पात्र हो गए हैं। शासन के इस फैसले के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट ने दो सप्ताह में जवाब भी मांगा है। छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा भर्ती और पदोन्नति नियम 2019 बनाया है। इस नियम के लागू होने के पहले शिक्षकों के लिए प्रमोशन के लिए पांच साल का अनुभव अनिवार्य था। नए नियम लागू होने के बाद इसे खत्म कर तीन साल कर दिया गया है। शिक्षक नीलम कुमार और अन्य ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जिसमें शासन के नियम को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डिवीज़न बेंच ने आगामी आदेश तक शिक्षक और हेडमास्टर प्राथमिक शाला की पदोन्नति पर रोक लगाते हुए राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

 

याचिकाकर्ता शिक्षकों के वकील ने बताया कि 5 साल तक अनुभव रखने वाले सहायक शिक्षक प्रधान पाठक प्राथमिक शाला और शिक्षक के पद पर पदोन्नति के लिए पात्र माने जाते हैं। नियम मे विभिन्न विसंगति के आधार पर उसकी संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। यही वजह है कि मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में हो रही है। याचिका में बताया गया है कि पंचायत शिक्षक को संविलियन कर एलबी कैडर का गठन किया गया है। लेकिन, एलबी कैडर के शिक्षकों की वरिष्ठता निर्धारण करने का कोई प्रावधान नहीं बनाया गया है। इसके चलते वरिष्ठता के निर्धारण में दिक्कतें हो रही हैं और सीनियर शिक्षक जूनियर और जूनियर शिक्षक सीनियर हो गए हैं।