भारत में आम आदमी भ्रष्टाचार से जूझ रहा, सभी स्तरों पर जवाबदेही तय करने की जरूरत: सुप्रीम कोर्ट

शेयर करें

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि भारत में आम आदमी भ्रष्टाचार से जूझ रहा है और सभी स्तरों पर जवाबदेही तय करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की है, जिसनें उन लागों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई, जिनके खिलाफ आपराधिक मामलों में चुनाव लड़ने से आरोप तय किए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर भारत को वास्तव में वह बनना है जिसके लिए वह प्रयास कर रहा है तो उसे अपने मूल मूल्यों और चरित्र पर वापस जाना होगा। अदालत ने कहा, किसी भी सरकारी कार्यालय में जाएं, आप सुरक्षित नहीं निकल सकते। प्रसिद्ध न्यायविद नानी पालखीवाला ने अपनी पुस्तक ‘We The People’ में इस बारे में बात की है। अगर हमें वास्तव में एक राष्ट्र बनना है तो हम के लिए प्रयास कर रहे हैं, हमें अपने मूल मूल्यों और चरित्र पर वापस आने की जरूरत है।

याचिका में क्या कहा गया?
यह जनहित याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि एक व्यक्ति जिसके खिलाफ जघन्य अपराध में आरोप तय किए गए हैं, वह सरकारी कार्यालय में सफाई कर्मचारी या पुलिस कांस्टेबल भी नहीं बन सकता है, लेकिन वही व्यक्ति मंत्री बन सकता है, भले ही उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया हो। याचिका में कहा गया है कि 2019 में लोकसभा चुनाव के 539 विजेताओं में से 233 (43 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए थे। NGO Association for Democratic Reforms की रिपोर्ट के आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए, याचिका में कहा गया है कि 2009 के बाद से गंभीर आपराधिक मामलों वाले सांसदों की संख्या में 109 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उपाध्याय ने कहा कि मैंने संपत्ति को आधार से जोड़ने के लिए एक जनहित याचिका दायर की, जिससे इस तरह भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके। हमें भारत में 500 या 2000 रुपए के नोटों की जरूरत नहीं है, क्योंकि ज्यादातर लोगों के पास Credit Card और Debit Card है।

लोकतंत्र के नाम पर जो हो रहा, उस पर कुछ नहीं कह सकते
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जोसेफ ने कहा कि लोकतंत्र के नाम पर जो कुछ हो रहा है, उस पर वह कुछ नहीं कहना चाहेंगे। इस मुद्दे पर एक संविधान पीठ का फैसला है और अदालत ने माना है कि यह कानून में कुछ भी नहीं जोड़ सकता है। यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह इस पर गौर करे। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि सभी स्तरों पर जवाबदेही तय करने की जरूरत है।

रीसेंट पोस्ट्स

You cannot copy content of this page