तलाक के मामले में हाई कोर्ट का अहम फैसला, कहा- पति अगर भिखारी भी है तब भी पत्नी के भरण-पोषण का दायित्व

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चंडीगढ़। जब बात तलाक की आती है तो भरण-पोषण का मसला साथ ही चलता है. ऐसे ही एक मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि एक पति का यह नैतिक और कानूनी दायित्व बनता है कि वह अपनी पत्नी का भरण-पोषण करे। अगर दुर्भाग्य से पति अगर पेशेवर भिखारी भी है तब भी उसका दायित्व है कि वह पत्नी का भरण-पोषण करे।

दरअसल, पत्नी ने अदालत में वाद दायर कर प्रार्थना की थी कि तलाक के मामले की सुनवाई के दौरान भी उसको हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत अपने पति से 15,000 रुपए प्रति माह का गुजारा भत्ता और हर महीने मुकदमे के 11,000 रुपए मिलते रहे। पत्नी की इसी याचिका के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट का रुख किया था।

न्यायमूर्ति एचएस मदान की पीठ ने पति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि बेशक यह पति का नैतिक और कानूनी दायित्व है, वह अपनी पत्नी का भरण पोषण करे।

अदालत ने कहा कि पति/याचिकाकर्ता पैसे देने में सक्षम व्यक्ति है और आजकल, एक मजदूर भी प्रति दिन 500 रुपए या उससे अधिक कमाता है। उन्होंने कहा कि बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखते हुए और बुनियादी जरूरतों की चीजों के महंगा होने के मद्देनजर इस भत्ते को भी पर्याप्त नहीं माना जा सकता है, लेकिन मामले की सुनवाई जारी रहने तक पति का यह दायित्व है कि वह पत्नी को निचली अदालत में तय हुए पैसे देता रहे।

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24

हिंदू विवाह अधिनियम के तहत धारा 24 में कहा गया है कि यदि पति या पत्नी मे से किसी के पास भी अपना गुजारा करने और कार्यवाही के आवश्यक खर्च देने के लिए स्वतंत्र आय का कोई स्रोत नहीं है, तो अदालत ऐसे आश्रित पति या पत्नी की याचिका पर उस पति या पत्नी को अपने आश्रित को भुगतान करने का आदेश दे सकती है।

रीसेंट पोस्ट्स

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