हिंगलाज शक्तिपीठ का इतिहास; यह है पाकिस्तान की वैष्णो देवी

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न्यूज़ डेस्क | माता सती के 52 शक्तिपीठों में से 1 शक्तिपीठ पाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान में भी स्थित है इस शक्तिपीठ की देखरेख मुस्लिम करते हैं, और वे चमत्कारी स्थान मानते हैं इस मंदिर का नाम माता हिंगलाज देवी का मंदिर है, हिंगोल नदी और चंद्रगुप्त पहाड़ पर स्थिति यह मंदिर पहाड़ियों की तलहटी में स्थित एक गुफा मंदिर इतना विशालकाय क्षेत्र है, कि इसका इतिहास में उल्लेख मिलता है, कि यह मंदिर 2000 वर्ष पूर्व भी यही स्थित था| इस मंदिर को हिंगुला देवी और नानी का मंदिर या नानी का हज के नाम से भी जाना जाता है। इस शक्तिपीठ की देखरेख हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमान भी करते हैं और इस स्थान को चमत्कारिक मानते हैं।

हिंगलाज मंदिर में हिंगलाज शक्तिपीठ की प्रतिरूप देवी की प्राचीन दर्शनीय प्रतिमा विराजमान है माता हिंगलाज की कराची और पाकिस्तानी नहीं अपित पूरे भारत में नवरात्रि के दौरान तो यह पूरे 9 दिनों तक शक्तिपीठ की उपासना का विशेष आयोजन होता है, सिंध और कराची लाखों हिंदू माता के दर्शन को आते हैं, भारत से भी एक दल प्रति वर्ष एक दर्शन के लिए जाता है|

इस मंदिर पर गहरी आस्था रखने वाले लोगों का कहना है, कि हिंदू चाहे चारों धाम की यात्रा क्यों ना कर ले काशी के पानी में स्नान करें यहां फिर अयोध्या के मंदिर में पूजा पाठ करें लेकिन अगर वह हिंगलाज देवी के दर्शन नहीं करता है, तो सब व्यर्थ हो जाता है, वह स्त्री जो इस स्थान का दर्शन कर लेती है, उन्हें हजियानी कहते हैं, उन्हें हर धार्मिक स्थान पर सम्मान के साथ देखा जाता है| माता के दरबार का नजारा देखेंगे तो आपको महसूस ही नहीं होगा कि आप पाकिस्तान में हैं। ऐसा लगेगा मानो आप वैष्णों देवी के दर्शन करने आए हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान शंकर माता सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर लेकर तांडव नृत्य करने लगे तो ब्रह्मांड को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के मृत शरीर को 52 भागों में काट दिया मान्यता अनुसार हिंगलाज ही वह जगह है, जहां माता का सिर, ब्रह्मरंध्र (मस्तिष्क) गिरा था, इस मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता है, कि हर रात इस स्थान पर सभी शक्तियां एकत्रित होकर रास रचाते हैं, और दिन निकलते हिंगलाज माता के भीतर समा जाती है|

मुस्लिम काल में इस मंदिर पर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने कई हमले किए लेकिन स्थानीय हिंदू और मुसलमानों ने इस मंदिर को बचाया था जब यह हिस्सा भारत से पाकिस्तान में आया तो आतंकवादियों ने इस मंदिर को क्षति पहुंचाने का प्रयास किया लेकिन वे सभी हवा में लटक गए थे|

प्रमुख रूप से यह देवी चरण वंश के लोगों की कुलदेवी मानी जाती थी, एक समय में क्षेत्र भारत के हिस्से में आता था, तब यह लाखों हिंदू यहां इकट्ठे होकर आराधना करते थे|

मान्यता यह भी है कि रावण के वध के बाद ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए भगवान राम ने भी माता हिंगलाज की यात्रा कर दर्शन किए थे। साथ ही उन्होंने यहां एक यज्ञ भी किया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हिंगलाज माता के दरबार में जो भी भक्त शीश नवाता है, उसे पूर्वजन्मों के कष्टों को नहीं भोगना पड़ता। ऊंची पहाड़ी पर मां हिंगलाज का गुफा के अंदर दरबार है और भगवान शिव यहां भीमलोचन भैरव रूप में प्रतिष्ठित हैं। मंदिर के परिसर में भगवान गणेश, कालिका माता की प्रतिमा लगी हुई हैं। मंदिर के साथ ही गुरु गोरखनाथ का चश्मा भी है। मान्यता है कि माता हिंगलाज देवी यहां हर रोज सुबह स्नान के लिए आती हैं।

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